क्रमांक 🔢 व Formula 📖 + Explanation ✍️ + उदाहरण 🎯 |
---|
1️⃣ रिक्त समुच्चय (∅)
जिस समुच्चय में कोई तत्त्व नहीं होता। ∅ = { } (जैसे, ऐसा समुच्चय जिसमें कोई सदस्य न हो) |
2️⃣ समुच्चय का पूरक (A')
सभी तत्त्व जो सार्वभौमिक समुच्चय में हैं लेकिन A में नहीं। उदाहरण: यदि सार्वभौमिक समुच्चय U = {1,2,3,4,5} और A = {1,2}, तो A' = {3,4,5} |
3️⃣ समुच्चयों का संघ (A ∪ B)
सभी तत्त्व जो A या B या दोनों में हैं। उदाहरण: A = {1,2,3}, B = {3,4,5} तो A ∪ B = {1,2,3,4,5} |
4️⃣ समुच्चयों का छेद (A ∩ B)
सभी तत्त्व जो A और B दोनों में हैं। उदाहरण: A = {1,2,3}, B = {3,4,5} तो A ∩ B = {3} |
5️⃣ समुच्चय अंतर (A - B)
ऐसे तत्त्व जो A में हों लेकिन B में न हों। उदाहरण: A = {1,2,3}, B = {3,4,5} तो A - B = {1,2} |
6️⃣ उपसमुच्चय (A ⊆ B)
हर तत्त्व A का, B में भी हो। उदाहरण: यदि A = {1,2} और B = {1,2,3}, तो A ⊆ B |
7️⃣ शक्ति समुच्चय (P(A))
सभी उपसमुच्चयों का समुच्चय। सूत्र: n(P(A)) = 2n(A) उदाहरण: यदि A = {a,b} हो तो P(A) = {∅, {a}, {b}, {a,b}} और n(P(A)) = 22 = 4 |
8️⃣ दो समुच्चयों के संघ का सूत्र
n(A ∪ B) = n(A) + n(B) - n(A ∩ B) उदाहरण: n(A) = 10, n(B) = 15, n(A ∩ B) = 5 तो n(A ∪ B) = 10 + 15 - 5 = 20 |
9️⃣ तीन समुच्चयों के संघ का सूत्र
n(A ∪ B ∪ C) = n(A) + n(B) + n(C) - n(A ∩ B) - n(B ∩ C) - n(C ∩ A) + n(A ∩ B ∩ C) उदाहरण: यदि n(A) = 5, n(B) = 6, n(C) = 7, n(A ∩ B) = 2, n(B ∩ C) = 3, n(C ∩ A) = 2, n(A ∩ B ∩ C) = 1 हो, तो: n(A ∪ B ∪ C) = 5 + 6 + 7 - 2 - 3 - 2 + 1 = 12 |
🔟 डि मॉर्गन के नियम
(A ∪ B)' = A' ∩ B' और (A ∩ B)' = A' ∪ B' उदाहरण: यदि सार्वभौमिक समुच्चय U = {1,2,3,4} और A = {1,2}, B = {2,3} हो, तो: (A ∪ B)' = {4} और (A ∩ B)' = {1,3,4} |
प्रतीक चिन्ह 🔤 | नाम 📋 |
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∪ | संघ (Union) |
∩ | छेद (Intersection) |
⊆ | उपसमुच्चय (Subset) |
⊂ | उचित उपसमुच्चय (Proper Subset) |
⊃ | महासमुच्चय (Superset) |
∅ | रिक्त समुच्चय (Empty Set) |
U | सार्वभौमिक समुच्चय (Universal Set) |
' | पूरक (Complement) |
क्रमांक 🔢 व Formula 📖 + Explanation ✍️ + Example 🎯 |
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1️⃣ संबंध (Relation) की परिभाषा
यदि A और B दो गैर-रिक्त समुच्चय हैं, तो A × B = {(a,b) | a ∈ A और b ∈ B} कहलाता है। 👉 उदाहरण 1: यदि A = {1,2} और B = {3,4} तो A × B ज्ञात कीजिए।
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2️⃣ परावर्ती संबंध (Reflexive Relation)
यदि प्रत्येक a ∈ A के लिए (a,a) ∈ R हो, तो संबंध परावर्ती होता है। 👉 उदाहरण 2: A = {1,2} और R = {(1,1), (2,2)} है। जाँचिए कि R परावर्ती है या नहीं।
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3️⃣ प्रत्यावर्ती संबंध (Symmetric Relation)
यदि (a,b) ∈ R ⇒ (b,a) ∈ R, तो संबंध प्रत्यावर्ती होता है। 👉 उदाहरण 3: A = {1,2} और R = {(1,2), (2,1)} है। जाँचिए कि R प्रत्यावर्ती है या नहीं।
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4️⃣ पारगम्य संबंध (Transitive Relation)
यदि (a,b) ∈ R और (b,c) ∈ R हो ⇒ (a,c) ∈ R, तो संबंध पारगम्य होता है। 👉 उदाहरण 4: A = {1,2,3} और R = {(1,2), (2,3), (1,3)} है। जाँचिए कि R पारगम्य है या नहीं।
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5️⃣ सार्वत्रिक संबंध (Universal Relation)
यदि R = A × A हो, अर्थात् प्रत्येक संभव युग्म (a,b) ∈ R हो, तो संबंध सार्वत्रिक होता है। 👉 उदाहरण 5: A = {1,2} के लिए R = {(1,1), (1,2), (2,1), (2,2)} है। जाँचिए कि R सार्वत्रिक है या नहीं।
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6️⃣ रिक्त संबंध (Empty Relation)
यदि R = ∅ हो (कोई भी युग्म नहीं हो), तो संबंध रिक्त कहलाता है। 👉 उदाहरण 6: A = {1,2,3} और R = ∅ है।
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7️⃣ एक-एक संबंध (One-One Relation)
अगर प्रत्येक तत्त्व A का अलग-अलग तत्त्वों से B में मेल हो, तो उसे एक-एक संबंध कहते हैं। 👉 उदाहरण 7: A = {1,2,3}, B = {4,5,6} और R = {(1,4), (2,5), (3,6)} है।
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8️⃣ कार्यात्मक संबंध (Functional Relation)
अगर A का प्रत्येक तत्त्व B के केवल एक तत्त्व से जुड़ा हो, तो उसे कार्यात्मक संबंध कहते हैं। 👉 उदाहरण 8: A = {a,b} और B = {1,2,3}, R = {(a,2), (b,3)} है।
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9️⃣ संक्रमणशील संबंध (Transitive Relation)
यदि (a,b) ∈ R और (b,c) ∈ R हो, तो (a,c) ∈ R भी होना चाहिए, तब इसे संक्रमणशील संबंध कहते हैं। 👉 उदाहरण 9: A = {1,2,3} और R = {(1,2), (2,3), (1,3)} है। जाँचिए कि R संक्रमणशील है या नहीं।
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🔟 कार्टेशियन गुणनफल (Cartesian Product)
दो समुच्चयों A और B का कार्टेशियन गुणनफल A × B है, जिसमें सभी संभव युग्म (a, b) होते हैं, जहाँ a ∈ A और b ∈ B। 👉 उदाहरण 10: A = {1,2} और B = {3,4} है। A × B ज्ञात कीजिए।
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1️⃣1️⃣ समतुल्यता संबंध (Equivalence Relation)
यदि एक संबंध reflexive, symmetric और transitive हो, तो उसे समतुल्यता संबंध कहते हैं। 👉 उदाहरण 11: A = {1,2,3} और R = {(1,1), (2,2), (3,3), (1,2), (2,1)} है। जाँचिए कि R समतुल्यता संबंध है या नहीं।
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क्रमांक 🔢 व Formula 📖 + Explanation ✍️ + Example 🎯 |
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1️⃣ फलन (Function) की परिभाषा
एक संबंध f: A → B फलन है यदि A का प्रत्येक तत्त्व B के केवल एक तत्त्व से जुड़ा हो। 👉 उदाहरण 1: यदि A = {1,2} और B = {3,4}, तो:
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2️⃣ एक-एक फलन (One-to-One Function)
यदि फलन f: A → B में A का प्रत्येक तत्त्व B के अलग-अलग तत्त्व से जुड़ा हो, तो इसे एक-एक फलन कहते हैं। 👉 उदाहरण 2: यदि A = {1, 2} और B = {3, 4}, तो:
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3️⃣ onto फलन (Onto Function)
यदि B के प्रत्येक तत्त्व से कम से कम एक तत्त्व A में जुड़ा हो, तो इसे onto फलन कहते हैं। 👉 उदाहरण 3: यदि A = {1,2} और B = {3,4}, तो:
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4️⃣ बायिजेक्टिव फलन (Bijective Function)
फलन f: A → B को बायिजेक्टिव फलन कहा जाता है यदि वह एक-एक (One-to-One) और onto दोनों हो। 👉 उदाहरण 4: यदि A = {1,2} और B = {3,4}, तो:
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5️⃣ फलन का रेंज (Range of a Function)
फलन के उस भाग को रेंज कहते हैं, जो B के तत्वों के समूह में से प्राप्त होता है। 👉 उदाहरण 5: यदि A = {1, 2} और B = {3, 4, 5}, और f(1) = 3, f(2) = 4 है, तो:
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1 rad | 180°π ≈ 57°17'45" |
1° | π180rad ≈ 0.017453 |
1' | π180.60rad ≈ 0.000291 rad |
1" | π180.3600rad ≈ 0.000005 rad |
Trigonometric Ratio
Opposite Side = लम्ब
Hypotenuse = कर्ण
Adjacent Side = आधार
(कर्ण)2 | (लम्ब)2 + (आधार)2 |
(लम्ब)2 | (कर्ण)2 - (आधार)2 |
(आधार)2 | (कर्ण)2 - (लम्ब)2 |
sin θ | लम्बकर्ण |
cos θ | आधारकर्ण |
tan θ | लम्बआधार |
cosec θ | कर्णलम्ब , 1Sin |
sec θ | कर्णआधार , 1cos |
cot θ | आधारलम्ब , 1tan |
Reciprocal Identities:
cosec θ | 1sin θ |
sec θ | 1cos θ |
cot θ | 1tan θ |
Quotient Identities:
tan θ | sin θcos θ |
cot θ | cos θsin θ |
त्रिकोणमिति सारणी (Trigonometric Chart):-
Angle (θ) | 0° | 30° | 45° | 60° | 90° |
---|---|---|---|---|---|
Sine (sin θ) | 0 | 12 | 12 | 32 | 1 |
Cosine (cos θ) | 1 | 32 | 12 | 12 | 0 |
Tangent (tan θ) | 0 | 13 | 1 | 3 | ∞ |
Cotangent (cot θ) | ∞ | 3 | 1 | 13 | 0 |
Secant (sec θ) | 1 | 23 | 2 | 2 | ∞ |
Cosecant (csc θ) | ∞ | 2 | 2 | 23 | 1 |
Pythagorean Identities:
sin2 θ + cos2 θ | 1 |
sec2 θ - tan2 θ | 1 |
cosec2 θ - cot2 θ | 1 |
Even-Odd Identities:
sin(-θ) | -sin(θ) |
cos(-θ) | cos(θ) |
tan(-θ) | -tan(θ) |
csc(-θ) | -csc(θ) |
sec(-θ) | sec(θ) |
cot(-θ) | -cot(θ) |
Co - Ratio
Trigonometric Identities
Angle | sin | cos | tan | cot | sec | csc |
---|---|---|---|---|---|---|
90 - θ | cos(θ) | sin(θ) | cot(θ) | tan(θ) | csc(θ) | sec(θ) |
90 + θ | cos(θ) | -sin(θ) | -cot(θ) | -tan(θ) | -csc(θ) | sec(θ) |
180 - θ | sin(θ) | -cos(θ) | -tan(θ) | -cot(θ) | -sec(θ) | csc(θ) |
180 + θ | -sin(θ) | -cos(θ) | tan(θ) | cot(θ) | -sec(θ) | -csc(θ) |
Addition and Subtraction Formulas
sin(x + y) | sin x cos y + sin y cos x |
sin(x - y) | sin x cos y - sin y cos x |
cos(x + y) | - cos x cos y - sin x sin y |
cos(x - y) | - cos x cos y + sin x sin y |
tan (x + y) | tan x + tan y1 - tan x . tan y |
tan (x - y) | tan x - tan y1 + tan x . tan y |
cot (x + y) | 1 - tan x . tan ytan x + tan y |
cot (x - y) | 1 + tan x . tan ytan x - tan y |
Double Angle Formulas
sin 2θ | 2sinθcosθ |
cos 2θ | cos2θ-sin2θ Or 1-2sin2θ Or 2 cos2θ-1 |
tan 2θ | 2 tanθ1-tan2θ or 2cotθ - tanθ |
cot 2θ | cot2θ - 12 cotθ or cotθ - tanθ2 |
Multiple Angle Formulas
sin 3θ | 3 sinθ−4 sin3θ Or 3 cos2θ.sinθ - sin3θ |
sin 4θ | 4 sinθ.cosθ - 8 sin3θ.cosθ |
sin 5θ | 5 sinθ-20 sin3θ + 16 sin5θ |
cos 3θ | 4 cos3θ − 3 cosθ = cos3θ . sin2θ |
cos 4θ | 8 cos4θ − 8 cos2θ + 1 |
cos 5θ | 16 cos5θ − 20 cos3θ + 5 cosθ |
tan 3θ | 3 tan θ - tan3θ1 - 3 tan2θ |
tan 4θ | 4 tan θ - 4 tan3θ1 - 6 tan2θ + tan4θ |
tan 5θ | tan5θ - 10 tan3θ + 5 tanθ1 - 10 tan2θ + 5 tan4θ |
cot 3θ | cot3θ - 3 cot θ3 cot2θ - 1 |
cot 4θ | 1 - 6 tan2θ + tan4θ4 tan θ - 4 tan3θ |
cot 5θ | 1 - 10 tan2θ + 5 tan4θtan5θ - 10 tan3θ + 5 tan θ |
Periodic Identities
Identity | Formula |
---|---|
Sine (साइन) |
sin(θ + 2π) = sin θ sin(θ + 360°) = sin θ |
Cosine (कोसाइन) |
cos(θ + 2π) = cos θ cos(θ + 360°) = cos θ |
Tangent (टैनजेंट) |
tan(θ + π) = tan θ tan(θ + 180°) = tan θ |
Cotangent (कोटेंजेंट) |
cot(θ + π) = cot θ cot(θ + 180°) = cot θ |
Secant (सेकेंट) |
sec(θ + 2π) = sec θ sec(θ + 360°) = sec θ |
Cosecant (कोसेकेंट) |
csc(θ + 2π) = csc θ csc(θ + 360°) = csc θ |
Half Angle Formulas
Function | Half-Angle Formula |
---|---|
sin(θ/2) | ± ((1 - cos(θ)) / 2) |
cos(θ/2) | ± ((1 + cos(θ)) / 2) |
tan(θ/2) | ± ((1 - cos(θ)) / (1 + cos(θ))) |
tan(θ/2) | sin(θ) / (1 + cos(θ)) |
tan(θ/2) | (1 - cos(θ)) / sin(θ) |
sec(θ/2) | ± ((2) / (1 + cos(θ))) |
csc(θ/2) | ± ((2) / (1 - cos(θ))) |
cot(θ/2) | ± ((1 + cos(θ)) / (1 - cos(θ))) |
sec(θ/2) | (1 + cos(θ)) / cos(θ) |
csc(θ/2) | (1 - cos(θ)) / sin(θ) |
cot(θ/2) | (1 + cos(θ)) / sin(θ) |
sec(θ/2) | 1 / cos(θ/2) |
csc(θ/2) | 1 / sin(θ/2) |
cot(θ/2) | 1 / tan(θ/2) |
sin α | 2 tan(α2) 1 + tan2(α2) |
Product to Sum Formulas:
Identity | Formula |
---|---|
Sine and Cosine |
sin A cos B = ½ [sin (A + B) + sin (A - B)] cos A sin B = ½ [sin (A + B) - sin (A - B)] cos A cos B = ½ [cos (A + B) + cos (A - B)] sin A sin B = ½ [cos (A - B) - cos (A + B)] |
Sum to Product Formulas
Identity | Formula |
---|---|
Sine and Cosine |
sin A + sin B = 2 sin (½ (A + B)) cos (½ (A - B)) sin A - sin B = 2 cos (½ (A + B)) sin (½ (A - B)) cos A + cos B = 2 cos (½ (A + B)) cos (½ (A - B)) cos A - cos B = -2 sin (½ (A + B)) sin (½ (A - B)) |
Law of Sines (साइन का नियम)
Formula | Explanation |
---|---|
a / sin A = b / sin B = c / sin C |
This formula states that the ratio of each side of a triangle to the sine of its opposite angle is constant. |
Law of Cosines (कोसाइन का नियम)
Formula | Explanation |
---|---|
c2 = a2 + b2 - 2ab cos C |
This formula relates the lengths of the sides of a triangle to the cosine of one of its angles. |
a2 = b2 + c2 - 2bc cos A |
Relates the length of side a to the cosine of angle A. |
b2 = a2 + c2 - 2ac cos B |
Relates the length of side b to the cosine of angle B. |
Law of Tangents (टैनजेंट का नियम)
Formula | Explanation |
---|---|
tan [(A ± B) / 2] = (tan A ± tan B) / (1 ∓ tan A tan B) |
This formula relates the tangent of half-angle sums or differences to the tangents of the angles themselves. |
Area of a Triangle Using Trigonometry (त्रिकोण का क्षेत्रफल त्रिकोणमिति का उपयोग करके)
Formula | Explanation |
---|---|
Area = ½ ab sin C |
The area of a triangle can be calculated using the lengths of two sides and the sine of the included angle. |
Chebyshev Polynomials (चेबिशेव बहुपद)
Polynomial | Formula |
---|---|
First Kind (प्रथम प्रकार) |
Tₙ(x) = cos(n cos⁻¹(x)) |
Second Kind (द्वितीय प्रकार) |
Uₙ(x) = sin((n+1) cos⁻¹(x)) / sin(cos⁻¹(x)) |
Exponential Form of Trigonometric Functions (त्रिकोणमितीय संख्याओं के घातांक रूप)
Function | Formula |
---|---|
Euler's Formulas (यूलर के फॉर्मूला) |
e(iθ) = cos(θ) + i sin(θ) e(-iθ) = cos(θ) - i sin(θ) |
sin(θ) and cos(θ) |
sin(θ) = (e(iθ) - e(-iθ)) / 2i cos(θ) = (e(iθ) + e(-iθ)) / 2 |
Identity | Formula |
---|---|
Sum Formulas (योग फॉर्मूला) |
sin⁻¹(x) + sin⁻¹(y) = sin⁻¹(x 1-y² + y 1-x²) cos⁻¹(x) + cos⁻¹(y) = cos⁻¹(xy - 1-x² 1-y²) tan⁻¹(x) + tan⁻¹(y) = tan⁻¹((x + y) / (1 - xy)) |
Difference Formulas (अंतर फॉर्मूला) |
sin⁻¹(x) - sin⁻¹(y) = sin⁻¹(x 1-y² - y 1-x²) cos⁻¹(x) - cos⁻¹(y) = cos⁻¹(xy + 1-x² 1-y²) tan⁻¹(x) - tan⁻¹(y) = tan⁻¹((x - y) / (1 + xy)) |
Transformation | Formula |
---|---|
sin(θ + 90°) | cos(θ) |
cos(θ + 90°) | -sin(θ) |
tan(θ + 90°) | -cot(θ) |
cot(θ + 90°) | -tan(θ) |
sec(θ + 90°) | -csc(θ) |
csc(θ + 90°) | sec(θ) |
Function | Formula |
---|---|
Inverse Sine (आर्कसाइन) |
sin-1(x) = θ, where sin θ = x |
Inverse Cosine (आर्ककोसाइन) |
cos-1(x) = θ, where cos θ = x |
Inverse Tangent (आर्कटैनजेंट) |
tan-1(x) = θ, where tan θ = x |
Inverse Cotangent (आर्ककोटेंजेंट) |
cot-1(x) = θ, where cot θ = x |
Inverse Secant (आर्कसेकेंट) |
sec-1(x) = θ, where sec θ = x |
Inverse Cosecant (आर्ककोसेकेंट) |
csc-1(x) = θ, where csc θ = x |
Function | Principal Value |
---|---|
sin⁻¹(x) | [-π/2, π/2] |
cos⁻¹(x) | [0, π] |
tan⁻¹(x) | [-π/2, π/2] |
cot⁻¹(x) | [0, π] |
sec⁻¹(x) | [0, π] except π/2 |
csc⁻¹(x) | [-π/2, π/2] except 0 |
Equation | General Solution |
---|---|
sin(θ) = 0 | θ = nπ, where n ∈ ℤ |
cos(θ) = 0 | θ = (2n+1)π/2, where n ∈ ℤ |
tan(θ) = 0 | θ = nπ, where n ∈ ℤ |
sin(θ) = a | θ = nπ + (-1)ⁿ arcsin(a), where n ∈ ℤ |
cos(θ) = a | θ = 2nπ ± arccos(a), where n ∈ ℤ |
tan(θ) = a | θ = nπ + arctan(a), where n ∈ ℤ |
cot(θ) = a | θ = nπ + arccot(a), where n ∈ ℤ |
sec(θ) = a | θ = 2nπ ± arcsec(a), where n ∈ ℤ |
csc(θ) = a | θ = nπ + (-1)ⁿ arccsc(a), where n ∈ ℤ |
क्रमांक 🔢 व Formula 📖 + Explanation ✍️ + Example 🎯 |
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1️⃣ सम्मिश्र संख्या (Complex Number) की परिभाषा
सम्मिश्र संख्या को z = a + bi के रूप में व्यक्त किया जाता है, जहाँ a और b वास्तविक संख्याएँ हैं, और i = (-1) है। 👉 उदाहरण 1: यदि z = 3 + 4i, तो:
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2️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का जोड़ (Addition of Complex Numbers)
यदि z₁ = a + bi और z₂ = c + di, तो:
👉 उदाहरण 2: यदि z₁ = 3 + 2i और z₂ = 1 + 4i, तो:
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3️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का गुणन (Multiplication of Complex Numbers)
यदि z₁ = a + bi और z₂ = c + di, तो:
👉 उदाहरण 3: यदि z₁ = 2 + 3i और z₂ = 1 + 2i, तो:
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4️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का अभ्युत्थान (Conjugate of a Complex Number)
सम्मिश्र संख्या z = a + bi का अभ्युत्थान z* = a - bi होता है। 👉 उदाहरण 4: यदि z = 3 + 4i, तो:
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5️⃣ सम्मिश्र संख्या का विभाजन (Division of Complex Numbers)
यदि z₁ = a + bi और z₂ = c + di, तो:
👉 उदाहरण 5: यदि z₁ = 2 + 3i और z₂ = 1 + 2i, तो:
|
6️⃣ सम्मिश्र संख्या का मान (Modulus of a Complex Number)
सम्मिश्र संख्या z = a + bi का मान |z| = (a² + b²) होता है। 👉 उदाहरण 6: यदि z = 3 + 4i, तो:
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7️⃣ सम्मिश्र संख्या का आर्कटंगेंट (Argument of a Complex Number)
सम्मिश्र संख्या z = a + bi का आर्कटंगेंट (argument) θ = tan⁻¹(b/a) होता है, जहाँ a और b वास्तविक संख्याएँ हैं। 👉 उदाहरण 7: यदि z = 3 + 4i, तो:
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8️⃣ सम्मिश्र संख्या का polar रूप (Polar Form of a Complex Number)
सम्मिश्र संख्या को Polar रूप में z = r (cos θ + i sin θ) के रूप में लिखा जाता है, जहाँ r = |z| और θ = argument(z) होता है। 👉 उदाहरण 8: यदि z = 3 + 4i, तो:
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9️⃣ सम्मिश्र संख्या का Exponential रूप (Exponential Form of a Complex Number)
सम्मिश्र संख्या को Exponential रूप में z = r e^(iθ) के रूप में लिखा जाता है, जहाँ r = |z| और θ = argument(z) होता है। 👉 उदाहरण 9: यदि z = 3 + 4i, तो:
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🔟 सम्मिश्र संख्या का रियल और इमेजिनरी भाग (Real and Imaginary Parts)
सम्मिश्र संख्या z = a + bi में:
👉 उदाहरण 10: यदि z = 5 + 6i, तो:
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1️⃣1️⃣ सम्मिश्र संख्या का पोलर रूप से कार्टेशियन रूप में परिवर्तन (Polar to Cartesian Conversion)
यदि एक सम्मिश्र संख्या z = r (cos θ + i sin θ) है, तो इसका कार्टेशियन रूप (a + bi) इस प्रकार होगा:
👉 उदाहरण 1: यदि z = 5 (cos 0.93 + i sin 0.93), तो:
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1️⃣2️⃣ सम्मिश्र संख्या का कार्टेशियन रूप से पोलर रूप में परिवर्तन (Cartesian to Polar Conversion)
यदि एक सम्मिश्र संख्या z = a + bi है, तो इसका पोलर रूप इस प्रकार होगा:
👉 उदाहरण 2: यदि z = 3 + 4i, तो:
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1️⃣3️⃣ सम्मिश्र संख्या का De Moivre's Theorem
De Moivre's Theorem के अनुसार, यदि z = r (cos θ + i sin θ) है, तो:
👉 उदाहरण 3: यदि z = 2 (cos 30° + i sin 30°), और n = 3, तो:
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1️⃣4️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का जड़ (Roots of Complex Numbers)
यदि z = r (cos θ + i sin θ) हो, तो z की n जड़ें निम्न प्रकार होंगी:
👉 उदाहरण 4: यदि z = 1 (cos 60° + i sin 60°), और n = 2, तो:
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1️⃣5️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का ट्रिगोनोमेट्रिक रूप (Trigonometric Form)
सम्बन्धित ट्रिगोनोमेट्रिक रूप में:
👉 उदाहरण 5: यदि z = 3 + 4i, तो:
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1️⃣6️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का क्यूब (Cube of a Complex Number)
यदि z = a + bi है, तो z का क्यूब निम्नलिखित होगा:
👉 उदाहरण 6: यदि z = 1 + 2i, तो:
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1️⃣7️⃣ सम्मिश्र संख्याओं का नकारात्मक घनमूल (Negative Cube Root)
किसी सम्मिश्र संख्या का नकारात्मक घनमूल निकालने के लिए:
👉 उदाहरण 7: यदि z = -8, तो:
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द्विघात समीकरण वह समीकरण होते हैं जिनमें चर का गुणांक (coefficient) x² के रूप में होता है। इसे सामान्य रूप में इस प्रकार लिखा जाता है:
ax2 + bx + c = 0, जहाँ a ≠ 0, और b तथा c किसी भी वास्तविक संख्या हो सकते हैं।
द्विघात समीकरणों के समाधान के लिए विभिन्न विधियाँ होती हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 का सामान्य हल निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त किया जा सकता है:
x = -b ± b2 - 4ac 2a
यहाँ:
प्रश्न: समीकरण x2−5x+6=0 का हल करें।
यह समीकरण है:
x2 - 5x + 6 = 0
प्रश्न: समीकरण 2x2 + 3x - 2 = 0 का हल करें।
यह समीकरण है:
2x2 + 3x - 2 = 0
द्विघात समीकरण ax2 + bx + c = 0 का ग्राफ एक परबोला (parabola) होता है। यह रेखा x-अक्ष के ऊपर या नीचे हो सकती है, और यह रेखा x-अक्ष को एक बिंदु पर या दो बिंदुओं पर काटती है।
द्विघात समीकरणों के समाधान के विभिन्न तरीके हैं और ये जीवन की कई समस्याओं में उपयोगी होते हैं। ग्राफ़ द्वारा भी इन समीकरणों को समझना और हल करना आसान होता है। द्विघात समीकरणों का उपयोग कार्यों, वित्तीय गणनाओं, भौतिकी, और कई अन्य क्षेत्रों में किया जाता है।
📚 **अंत में:** इस विषय को अच्छे से समझकर आप किसी भी द्विघात समीकरण को हल कर पाएंगे!
द्विघात समीकरण का ग्राफ हमेशा एक परबोला (parabola) होता है। यदि दो परबोलas समांतर होते हैं, तो उनका गुणांक एक जैसा होता है। अर्थात, यदि एक समीकरण ax2 + bx + c = 0 का ग्राफ और दूसरा समीकरण ax2 + bx + c = 0 का ग्राफ समान रेखाएँ होंगे।
डिस्क्रिमिनेंट (Δ) एक महत्वपूर्ण मान है जो यह निर्धारित करता है कि द्विघात समीकरण के हल वास्तविक (real) होंगे या काल्पनिक (imaginary)।
डिस्क्रिमिनेंट की परिभाषा: Δ = b2 - 4ac
वर्गमूल विधि का उपयोग उन समीकरणों को हल करने के लिए किया जाता है जिनमें x2 के रूप में एक मात्र अज्ञात होता है।
इस विधि में समीकरण को x2 = k के रूप में लिखा जाता है और फिर x = ±k से हल किया जाता है।
द्विघात समीकरण को हल करने के विभिन्न तरीके होते हैं, जैसे:
इसके माध्यम से हम किसी भी द्विघात समीकरण को आसानी से हल कर सकते हैं।
द्विघात समीकरणों को हल करने के लिए गणना की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:
द्विघात समीकरण का ग्राफ एक परबोला होता है। इसे हम निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं:
द्विघात समीकरणों को गुणन और विभाजन की विधियों से भी हल किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में समीकरण को फैक्टरों में विभाजित किया जाता है और फिर उनका गुणन किया जाता है।
उदाहरण: x2 - 5x + 6 = 0 को हम (x - 2)(x - 3) = 0 के रूप में फैक्टराइज कर सकते हैं।
रैखिक असमीकाएँ वे असमीकाएँ होती हैं, जिनमें एक रैखिक समीकरण (Linear Equation) के समान किसी वेरिएबल के गुणनफल या योग का तुलना किया जाता है। ये असमीकाएँ वास्तविक संख्याओं से संबंधित होती हैं और इनका रूप निम्नलिखित हो सकता है:
रैखिक असमीकाएँ उस स्थिति को व्यक्त करती हैं, जब एक रैखिक समीकरण एक विशेष सीमा के भीतर रहता है, जैसे कि किसी वस्तु की कीमतों या किसी अन्य गुणांक के संबंध में। इनका हल एक असमिता रेखा पर रहता है।
रैखिक असमीकाओं को हल करने के दो प्रमुख तरीके होते हैं:
हल करें: 2x + 3 ≤ 7
अतः समाधान x ≤ 2 है।
हल करें: 3x - 5 > 10
अतः समाधान x > 5 है।
हल करें: 5x + 4 ≥ 9
अतः समाधान x ≥ 1 है।
जब हम रैखिक असमीकाएँ को ग्राफ पर चित्रित करते हैं, तो हमें रेखाएँ मिलती हैं, जो असमिता द्वारा निर्दिष्ट क्षेत्र को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, यदि हम असमिका 2x + 3 ≤ 7 को चित्रित करें, तो यह एक रेखा होगी और क्षेत्र x ≤ 2 को दर्शाएगा।
रैखिक असमीकाएँ गणित में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, विशेष रूप से जब हम वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए उन्हें लागू करते हैं। इनका उपयोग व्यापार, अर्थशास्त्र, और इंजीनियरिंग में भी होता है।
क्रमचय और संचय गणितीय अवधारणाएँ हैं जो चयन और क्रम से संबंधित समस्याओं को हल करने में उपयोगी होती हैं।
द्विपद प्रमेय के अनुसार, यदि किसी द्विपद (a + b) को किसी घात n तक बढ़ाया जाए, तो उसका विस्तार निम्नलिखित तरीके से होता है:
यह प्रमेय द्विपद का विस्तार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। 🔍
पाइथागोरस प्रमेय त्रिकोणमिति के एक महत्वपूर्ण प्रमेय है। यदि किसी समकोण त्रिकोण के दो लम्बे पक्षों की लंबाइयाँ a और b हैं, और कर्ण की लंबाई c है, तो यह निम्नलिखित होता है:
त्रिकोणमिति के प्रमेय बहुत उपयोगी होते हैं। कुछ महत्वपूर्ण प्रमेय निम्नलिखित हैं:
संख्याओं के गुणनफल से संबंधित कुछ प्रमेय:
वर्गमूल से संबंधित प्रमेय:
संख्याओं के जोड़ से संबंधित प्रमेय:
असमानता से संबंधित कुछ प्रमेय:
गणना से संबंधित प्रमेय और सूत्र:
गणितीय श्रृंखला से संबंधित कुछ प्रमेय:
गणितीय सांख्यिकी से संबंधित प्रमेय:
यह प्रमेय द्विपद का विस्तार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
यदि किसी समकोण त्रिकोण के दो लम्बे पक्षों की लंबाइयाँ a और b हैं, और कर्ण की लंबाई c है, तो यह निम्नलिखित होता है:
अनुक्रम एक संख्या या वस्तुओं का अनुशासित क्रम होता है, जिसे आमतौर पर a1, a2, a3, ... के रूप में दर्शाया जाता है। यहाँ हर संख्या एक स्थान (term) होती है और अनुक्रम के लिए स्थानों का क्रम महत्त्वपूर्ण होता है।
समानांतर अनुक्रम वह होता है जिसमें हर दो अनुक्रम के बीच समान अंतर होता है। इसे सामान्यतः a1, a2, a3, ... के रूप में लिखा जाता है, जहाँ हर स्थान का अंतर (common difference) समान होता है।
समानांतर अनुक्रम का सामान्य रूप:
an = a1 + (n - 1)d
जहाँ, a1 = पहले स्थान की संख्या, d = अंतर (common difference), n = स्थान का नंबर।
ज्यामितीय अनुक्रम वह अनुक्रम है जिसमें हर दो स्थानों के बीच समान गुणा (common ratio) होता है। इसका सामान्य रूप है:
ज्यामितीय अनुक्रम का सामान्य रूप:
an = a1 × rn-1
जहाँ, a1 = पहले स्थान की संख्या, r = गुणा (common ratio), n = स्थान का नंबर।
श्रेणी वह गणना होती है जो किसी अनुक्रम के स्थानों को जोड़ने पर प्राप्त होती है। अर्थात, यदि हमारे पास अनुक्रम a1, a2, a3, ... है, तो उस अनुक्रम की श्रेणी होगी:
श्रेणी का सामान्य रूप:
Sn = a1 + a2 + a3 + ... + an
समानांतर श्रेणी वह होती है जो समानांतर अनुक्रम के स्थानों का योग होती है। इसका सामान्य रूप होता है:
समानांतर श्रेणी का योग:
Sn = n/2 × (2a1 + (n - 1)d)
जहाँ, n = संख्या के स्थानों की संख्या, a1 = पहले स्थान की संख्या, d = अंतर (common difference)।
ज्यामितीय श्रेणी वह होती है जो ज्यामितीय अनुक्रम के स्थानों का योग होती है। इसका सामान्य रूप होता है:
ज्यामितीय श्रेणी का योग:
Sn = a1 × (1 - rn) / (1 - r), यदि |r| < 1 हो।
जहाँ, a1 = पहले स्थान की संख्या, r = गुणा (common ratio), n = स्थानों की संख्या।
यदि a1 = 2 और d = 3 हो, तो पहले 5 स्थानों की समानांतर अनुक्रम की श्रेणी का योग होगा:
यदि a1 = 3 और r = 2 हो, तो पहले 4 स्थानों का ज्यामितीय अनुक्रम होगा:
जब किसी श्रेणी में अनंत संख्या के स्थान होते हैं, तो वह अनंत श्रेणी कहलाती है। ऐसे ज्यामितीय श्रेणियाँ जहां | r | < 1 हो, उनका योग किया जा सकता है:
अनंत ज्यामितीय श्रेणी का योग:
S = a1 / (1 - r), जहाँ | r | < 1।
यदि a1 = 5 और r = 1/2 हो, तो श्रेणी का योग होगा:
Example: 2x + 3y - 5 = 0 का ढाल और अवरोध ज्ञात करें।
Example: रेखा 4x + 5y + 7 = 0 की ढाल ज्ञात करें।
Example: बिंदु (2, 3) और (4, 7) से गुजरने वाली रेखा का समीकरण ज्ञात करें।
Example: ढाल 3 और बिंदु (1,2) के लिए रेखा का समीकरण लिखो।
Example: x-अवरोध = 3, y-अवरोध = 4 वाली रेखा का समीकरण लिखिए।
Example: दो रेखाएँ जिनकी ढालें m₁ = 1, m₂ = 2 हों, उनके बीच का कोण ज्ञात करें।
Example: बिंदु (2,3) से रेखा 3x + 4y - 5 = 0 तक दूरी ज्ञात करें।
Example: रेखाएँ 3x + 4y - 5 = 0 और 3x + 4y + 7 = 0 के बीच दूरी ज्ञात करें।
Example: दिखाइए कि रेखाएँ x + y - 5 = 0, 2x - y + 1 = 0 और x - 3y + 7 = 0 समवर्ती हैं।
Example: रेखा 3x + y = 2 को Normal Form में लिखिए।
Example: यदि पहली रेखा की ढाल 2 है, तो दूसरी समकोण रेखा की ढाल ज्ञात करें।
Example: बिंदु (2,3) से ढाल 4 वाली रेखा का समीकरण लिखो।
Example: रेखा 2x - 3y + 7 = 0 के समांतर रेखा का समीकरण लिखिए जो (1,2) से गुजरती हो।
Example: ढाल 3 और y-अवरोध 5 वाली रेखा का समीकरण लिखिए।
Example: रेखाएँ x + y = 5 और x - y = 1 का मिलन बिंदु ज्ञात करें।
Example: बिंदु (2,3) और (4,7) को अनुपात 2:3 में विभाजित करने वाले बिंदु के निर्देशांक ज्ञात करें।
उदाहरण : केंद्र (2, 3) और त्रिज्या 5 वाले वृत्त का समीकरण ज्ञात कीजिए।
उदाहरण : यदि शीर्ष (Vertex) मूल बिंदु (0,0) पर है और फोकस (2,0) पर है, तो परवलय का समीकरण ज्ञात कीजिए।
🔥 परवलय (Parabola) की Tricks
1️⃣ यदि रूप हो: y² = 4ax
2️⃣ यदि रूप हो: y² = -4ax
3️⃣ यदि रूप हो: x² = 4ay
4️⃣ यदि रूप हो: x² = -4ay
|
उदाहरण : केंद्र मूल बिंदु पर स्थित एक दीर्घवृत्त का समीकरण ज्ञात कीजिए, जहाँ a = 5 और b = 3 है।
उदाहरण : केंद्र मूल बिंदु पर स्थित एक अतिपरवलय का समीकरण ज्ञात कीजिए, जहाँ a = 4 और b = 3 है।
उदाहरण:
👉 परवलय y2 = 8x का फोकस ज्ञात करें।
उदाहरण:
👉 परवलय y2 = 8x की डायरेक्ट्रिक्स ज्ञात करें।
उदाहरण:
👉 परवलय y2 = 8x का अक्ष ज्ञात करें।
उदाहरण:
👉 परवलय y2 = 8x का पार्श्व अक्ष ज्ञात करें।
उदाहरण:
👉 परवलय (y - 2)2 = 8(x + 3) का शीर्ष ज्ञात करें।
जहाँ (x₁, y₁, z₁) और (x₂, y₂, z₂) दो बिंदु हैं।
यदि कोई बिंदु (x, y, z) है, तो:
जहाँ a = स्थिति सदिश (Position Vector) और b = दिशा सदिश (Direction Vector) होता है।
जहाँ (A, B, C) समतल का सामान्य सदिश (Normal Vector) है।
जहाँ n = समतल का सामान्य सदिश और d = समतल से मूल बिंदु तक लम्ब दूरी।
जहाँ (a, b, c) रेखा का दिशा अनुपात (Direction Ratio) होता है।
जहाँ r = रेखा का सामान्य समीकरण, a = स्थिति सदिश (position vector), b = दिशा सदिश (direction vector), λ = स्केलर गुणांक।
यहाँ r₀ = बिंदु पर समतल, r₁ = रेखा पर बिंदु, n = समतल का सामान्य सदिश।
यह समतल का सामान्य रूप है, जहाँ (A, B, C) समतल का सामान्य सदिश है।
यहाँ (x₁, y₁, z₁) बिंदु का स्थान है और (A, B, C) समतल का सामान्य सदिश है।
यह बिंदु (x₁, y₁, z₁) और समतल का सामान्य समीकरण है।
यहाँ r₀ = समतल का बिंदु, r₁ = रेखा का बिंदु, n = समतल का सामान्य सदिश है।
यहाँ A₁, B₁, C₁ और A₂, B₂, C₂ समतल का सामान्य सदिश है।
यह त्रिविमीय शंकु (Cone) का समीकरण है।
यह त्रिविमीय शंकु का समीकरण है जहाँ a शंकु का आकार निर्धारित करता है।
सूत्र | मान |
---|---|
limx→a xn | an |
limx→a (x - a) | 0 |
limx→a xn - anx - a | n × an - 1 |
limx→0 (1 + x)n - 1x | n |
lim(x + y - z) | lim x + lim y - lim z |
lim(xyz) | lim x × lim y × lim z |
lim(xy) | lim xlim y |
सूत्र | मान |
---|---|
limx→0 sin xx | 1 |
limx→0 tan xx | 1 |
limx→0 1 - cos xx² | 12 |
limx→0 sin(ax)bx | ab |
सूत्र | मान |
---|---|
limx→∞ 1x | 0 |
limx→∞ 1xn (n > 0) | 0 |
limx→∞ xx + 1 | 1 |
limx→∞ axn + ...bxn + ... | ab |
कथन | स्थिति |
---|---|
यदि limx→a f(x) = f(a) | तो f(x) निरंतर है (Continuous at x = a) |
यदि Left-hand limit = Right-hand limit = f(a) | तो f(x) निरंतर है |
प्रकार | परिभाषा |
---|---|
Left-hand Limit (LHL) | limx→a⁻ f(x) |
Right-hand Limit (RHL) | limx→a⁺ f(x) |
यदि LHL = RHL | तो limit मौजूद (exists) |
Function | Limit |
---|---|
lim(x + y - z) | lim x + lim y - lim z |
lim(xyz) | lim x × lim y × lim z |
lim(xy) | lim xlim y |
lim[Cf(x)] | C × lim[f(x)] |
lim[f(x)]n | (lim[f(x)])n |
lim ex | ∞ |
lim e-x | 0 |
lim ln x (x → 0⁺) | -∞ |
lim xn (x → 0, n > 0) | 0 |
lim xx! | 0 |
lim (1 + kx)x | ek, (e = 2.71) |
lim (1 - 1x)x | 1e |
lim (xx e-x) | 2π |
lim loga(1 + 1x) | loga e |
lim loge(1+x)x | 1 |
lim xsin x | 1 |
lim xtan x | 1 |
lim 1 - cos xx | 0 |
lim 1 - cos xx2 | 12 |
Angle (θ) | lim (sin θ) | lim (cos θ) | lim (tan θ) | lim (cot θ) | lim (sec θ) | lim (csc θ) |
---|---|---|---|---|---|---|
θ → 0 | 0 | 1 | 0 | ∞ | 1 | ∞ |
θ → π/2 (90°) | 1 | 0 | ∞ | 0 | ∞ | 1 |
θ → π (180°) | 0 | -1 | 0 | -∞ | -1 | -∞ |
θ → 3π/2 (270°) | -1 | 0 | -∞ | 0 | -∞ | -1 |
Solution-
f'(x) = f(x + h) − f(x)h, जहाँ h → 0
Formula-
ddx(xn) = n·xn−1
Formula-
ddx[f(x)·g(x)] = f'(x)·g(x) + f(x)·g'(x)
Formula-
ddxf(x)g(x) = f'(x)·g(x) − f(x)·g'(x)g(x)2
Formula-
dydx = dydu × dudx
Formulas-
Formulas-
Formulas-
Formulas-
Definition-
f''(x) = d2dx2 f(x)
f(n)(x) = dndxn f(x)
Example- यदि x2 + y2 = 1
तो dydx = −xy
Formula-
ddx(g(x)) = g'(x)2g(x)
Formula-
यदि x = f(t), y = g(t), तब:
dydx = dy/dtdx/dt
वर्ग की चौड़ाई = अधिकतम मान − न्यूनतम मानवर्गों की संख्या
वर्ग मध्य = निम्न सीमा + उच्च सीमा2
Median = L + N2 − CF f × h
जहाँ:
Mode = L + (f1 − f0) 2f1 − f0 − f2 × h
जहाँ:
CV = σx̄ × 100%
Combined Mean = n1x̄1 + n2x̄2n1 + n2
Range = अधिकतम मान − न्यूनतम मान
Q.D. = Q3 − Q12
Coefficient = Q3 − Q1Q3 + Q1
Coefficient = MDx̄
Coefficient = σx̄
Mean = a + ΣfdΣf
जहाँ:
Mean = a + ΣfuΣf × h
जहाँ:
Mode = 3 × Median − 2 × Mean
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प्रायिकता = (सफलता की संख्या) / (सभी संभावनाओं की संख्या)
P(E) = ईवेंट E की प्रायिकता
P(S) = 1 (कुल संभावनाओं का योग हमेशा 1 होता है)
P(E') = 1 − P(E) (जहां P(E') = ईवेंट E का पूरक)
P(A ∪ B) = P(A) + P(B) − P(A ∩ B)
यदि A और B परस्पर अनन्य (Mutually Exclusive) हैं, तो:
P(A ∩ B) = P(A) × P(B | A) (Conditional Probability)
यदि A और B स्वतंत्र हैं, तो:
P(B | A) = P(A ∩ B) / P(A)
P(X = r) = (nCr) × p^r × (1 − p)^(n − r)
जहां:
E(X) = Σ [ x * P(x) ]
V(X) = Σ [ (x − E(X))^2 * P(x) ]
σ(X) = V(X)
nPr = n! / (n − r)!
nCr = n! / [ r! (n − r)! ]
P(A1 ∪ A2 ∪ … ∪ An) = P(A1) + P(A2) + … + P(An) − P(A1 ∩ A2) − … − P(A(n-1) ∩ An) + P(A1 ∩ A2 ∩ … ∩ An)
P(B) = Σ P(Ai) × P(B | Ai)
जहां Ai, सभी परस्पर बंटे हुए ईवेंट्स हैं
P(A | B) = (P(B | A) × P(A)) / P(B)
यह शर्तीय प्रायिकता का एक रूप है जिसमें भविष्य की घटनाओं का अनुमान होता है।
फॉर्मूला: P(a ≤ X ≤ b) = ∫(a to b) f(x) dx
जहां f(x) निरंतर वितरण का प्रायिकता घनत्व फलन (PDF) है।
μ = ∫(−∞ to ∞) x f(x) dx
प्रायिकता का माप विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जाता है, जैसे कि डेटा माइनिंग, रिस्क मैनेजमेंट, गेम थ्योरी में।