विशेषण (Adjective) की विस्तृत व्याख्या

भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं, विचारों और कल्पनाओं को चित्रित करने का एक शक्तिशाली कैनवास है। इस कैनवास पर संज्ञा और सर्वनाम मात्र आकृतियाँ हैं, जिनमें रंग भरने, उन्हें रूप देने और सजीव बनाने का कार्य 'विशेषण' करते हैं। विशेषण वे शब्द-शिल्पी हैं जो भाषा को नीरसता से निकालकर जीवंतता, स्पष्टता और गहराई प्रदान करते हैं। आइए, हिंदी व्याकरण के इस महत्वपूर्ण अध्याय में गोता लगाएँ और विशेषण की दुनिया को इसके हर एक पहलू से, गहनता और विस्तार के साथ समझें।

विशेषण की विस्तृत परिभाषा (Detailed Definition of Adjective)

परिभाषा: व्याकरण में, वे विकारी शब्द जो किसी संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्द की व्याप्ति को मर्यादित करते हैं तथा उनके गुण, दोष, संख्या, मात्रा, अवस्था, आकार, या स्थिति की विशेषता बताते हैं, विशेषण कहलाते हैं।

सरल शब्दों में कहें तो, विशेषण वो शब्द हैं जो हमें बताते हैं कि कोई व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव 'कैसा' है, 'कितना' है, या 'कौन-सा' है। ये संज्ञा या सर्वनाम के बारे में अतिरिक्त और विशिष्ट जानकारी प्रदान करके वाक्य के अर्थ को अधिक स्पष्ट, सटीक और प्रभावशाली बनाते हैं। विशेषण के बिना, भाषा केवल एक ढाँचा मात्र रह जाएगी; विशेषण ही उसमें प्राण फूँकते हैं।

उदाहरण के लिए, 'घोड़ा दौड़ रहा है' एक सामान्य और सूचनात्मक वाक्य है। लेकिन जब हम कहते हैं, 'काला घोड़ा दौड़ रहा है', तो यहाँ 'काला' शब्द घोड़े (संज्ञा) की विशेषता बताकर उसे अन्य घोड़ों से अलग और विशिष्ट बना रहा है। यह 'काला' शब्द ही विशेषण है।

विशेषण की आवश्यकता क्यों?

  • स्पष्टता के लिए: "मुझे एक कलम दो।" (कोई भी कलम) → "मुझे वह नीली कलम दो।" (एक विशिष्ट कलम)
  • प्रभावशीलता के लिए: "पहाड़ ऊँचा था।" → "वह विशालकाय, बर्फीला पहाड़ अत्यंत मनमोहक था।"
  • अर्थ को सीमित करने के लिए: "छात्र पढ़ते हैं।" (सभी छात्र) → "कुछ छात्र पढ़ते हैं।" (छात्रों का एक सीमित समूह)

विशेष्य और विशेषण का अटूट संबंध

विशेषण और विशेष्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता।

विशेष्य (Substantive): जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता विशेषण द्वारा बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं। विशेष्य ही वह आधार है जिस पर विशेषण अपना अर्थ आरोपित करता है। ध्यान दें कि विशेष्य एकवचन (जैसे- 'कमीज़') या बहुवचन (जैसे- 'केले') दोनों हो सकता है।

वाक्यविशेषणविशेष्य
ऊँचा पर्वत बादलों को छू रहा है।ऊँचापर्वत (संज्ञा)
उसने लाल कमीज़ पहनी है।लालकमीज़ (संज्ञा)
वह चतुर है।चतुरवह (सर्वनाम)
दो दर्जन केले ले आओ।दो दर्जनकेले (संज्ञा)

अध्याहृत विशेष्य (Omitted Substantive)

कभी-कभी वाक्य में विशेष्य का लोप हो जाता है, अर्थात् वह छिपा रहता है लेकिन संदर्भ से समझा जा सकता है। ऐसी स्थिति में विशेषण संज्ञा की तरह कार्य करता है।

  • "बड़ों का आदर करना चाहिए।" (यहाँ 'बड़ों' का अर्थ 'बड़े लोगों' से है, 'लोग' विशेष्य छिपा हुआ है।)
  • "मैंने दो लड़के देखे; एक मोटा था और दूसरा पतला।" (यहाँ 'मोटा लड़का' और 'पतला लड़का' में 'लड़का' विशेष्य अध्याहृत है।)
  • "तुम्हें कौन-सी साड़ी पसंद है?" - "मुझे हरी वाली दे दो।" (यहाँ 'हरी वाली साड़ी' में 'साड़ी' विशेष्य छिपा है।)

विशेषण के प्रयोग के स्थान (उद्देश्य और विधेय विशेषण)

वाक्य में विशेषण का प्रयोग विशेष्य के आधार पर दो प्रकार से होता है:

  1. उद्देश्य-विशेषण (Attributive Adjective): जब विशेषण, विशेष्य (संज्ञा) से ठीक पहले प्रयोग होता है, तो उसे उद्देश्य-विशेषण या 'विशेष्य-विशेषण' कहते हैं।
    उदाहरण: बुद्धिमान छात्र हमेशा सफल होते हैं। (यहाँ 'बुद्धिमान' विशेषण 'छात्र' विशेष्य से पहले आया है।)
  2. विधेय-विशेषण (Predicative Adjective): जब विशेषण, विशेष्य के बाद और क्रिया से पहले (वाक्य के विधेय अंग में) प्रयोग होता है, तो उसे विधेय-विशेषण कहते हैं।
    उदाहरण: मेरा छात्र बुद्धिमान है। (यहाँ 'बुद्धिमान' विशेषण 'छात्र' विशेष्य के बाद आया है।)

प्रविशेषण: विशेषण का विशेषण

कभी-कभी वाक्य में कुछ शब्द ऐसे भी होते हैं जो विशेषण के अर्थ को और अधिक तीव्र या न्यून करने का कार्य करते हैं, अर्थात् वे विशेषण की भी विशेषता बताते हैं। ऐसे शब्दों को प्रविशेषण (Adverb of Degree) कहा जाता है। ये विशेषण के प्रभाव को घटाते या बढ़ाते हैं।

  • उदाहरण: कश्मीरी सेब बहुत मीठा होता है।
  • उदाहरण: यह रास्ता अत्यंत दुर्गम है।
  • उदाहरण: वह बड़ा ही नेक इंसान है।
  • उदाहरण: तुम लगभग ठीक कह रहे हो।
  • उदाहरण: चाय काफी गर्म है।
  • उदाहरण: वह अब बिल्कुल स्वस्थ है।
  • उदाहरण: यह एक घोर अन्याय है।
  • उदाहरण: यह सवाल तनिक कठिन है।
  • उदाहरण: यह कपड़ा कम मुलायम है।
  • अन्य प्रविशेषण: भारी, थोड़ा, अति, निपट, ठीक आदि।

विशेषण के भेद: एक विस्तृत वर्गीकरण

विशेषण द्वारा बताई जाने वाली विशेषता की प्रकृति के आधार पर, हिंदी व्याकरण में विशेषण को मुख्य रूप से चार प्रमुख भेदों में वर्गीकृत किया गया है:

विशेषण के चार मुख्य भेद गुणवाचक संख्यावाचक परिमाणवाचक सार्वनामिक

गुणवाचक विशेषण का प्रतीक

1. गुणवाचक विशेषण (Qualitative Adjective)

जो विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रूप, रंग, आकार, स्वभाव, स्वाद, गंध, स्पर्श, दशा या स्थान संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। यह विशेषण का सबसे व्यापक और विविध प्रकार है। यह 'कैसा' या 'किस प्रकार का' प्रश्न का उत्तर देता है।

गुणवाचक विशेषण के प्रमुख वर्ग और उदाहरण:

  • गुण बोधक: अच्छा, भला, ईमानदार, सरल, विनम्र, सदाचारी, पवित्र, कर्मठ, कुशल, दानी, दयालु, शांत, शिष्ट, सुशील।
    उदाहरण: अशोक एक ईमानदार शासक था। वह विनम्र स्वभाव का व्यक्ति है।
  • दोष बोधक: बुरा, दुष्ट, क्रूर, कठोर, घमंडी, बेईमान, पापी, दुराचारी, अशिष्ट, आलसी, कायर, झूठा, मक्कार।
    उदाहरण: झूठे व्यक्ति पर कोई विश्वास नहीं करता। आलसी छात्र कभी सफल नहीं होते।
  • रंग बोधक: लाल, पीला, नीला, हरा, सफ़ेद, काला, गुलाबी, नारंगी, बैंगनी, सुनहरा, रुपहला, मटमैला।
    उदाहरण: बगीचे में लाल गुलाब खिले हैं। उसने सुनहरे रंग की साड़ी पहनी है।
  • आकार बोधक: गोल, चौकोर, तिकोना, लंबा, छोटा, ऊँचा, नीचा, नुकीला, चपटा, सुडौल, बेडौल।
    उदाहरण: पृथ्वी गोल है। उस ऊँचे पर्वत पर चढ़ना कठिन है।
  • स्थान/देश बोधक: बाहरी, भीतरी, ऊपरी, निचला, जापानी, भारतीय, चीनी, शहरी, ग्रामीण, पहाड़ी, मैदानी, बनारसी।
    उदाहरण: बनारसी पान बहुत प्रसिद्ध है। ग्रामीण जीवन शांत होता है।
  • दशा/अवस्था बोधक: दुबला, पतला, मोटा, स्वस्थ, बीमार, ग़रीब, अमीर, युवा, वृद्ध, गीला, सूखा, पिघला हुआ।
    उदाहरण: स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है। गीले कपड़े धूप में सुखा दो।
  • स्वाद/गंध बोधक: मीठा, खट्टा, कड़वा, नमकीन, कसैला, तीखा, सुगंधित, दुर्गंधपूर्ण, खुशबूदार, बदबूदार।
    उदाहरण: करेला कड़वा होता है। चमेली एक सुगंधित पुष्प है।
  • स्पर्श बोधक: मुलायम, कठोर, खुरदुरा, चिकना, ठंडा, गरम, कोमल, मखमली।
    उदाहरण: बच्चे की त्वचा कोमल होती है। यह पत्थर बहुत खुरदुरा है।
  • काल/समय बोधक: नया, पुराना, प्राचीन, नवीन, अगला, पिछला, दैनिक, साप्ताहिक, मासिक, वार्षिक, भूत, भविष्य।
    उदाहरण: यह एक प्राचीन मंदिर है। हमारी वार्षिक परीक्षा अगले माह होगी।

संख्यावाचक विशेषण का प्रतीक

2. संख्यावाचक विशेषण (Numeral Adjective)

जो विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित या अनिश्चित संख्या, क्रम या गणना का बोध कराते हैं, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। ये विशेषण केवल गणनीय संज्ञाओं (countable nouns) के साथ ही प्रयोग होते हैं, अर्थात् जिन्हें गिना जा सकता है। यह 'कितने' प्रश्न का उत्तर देता है।

संख्यावाचक विशेषण के दो मुख्य भेद हैं:

(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण (Definite Numeral Adjective)

जिन विशेषण शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु या प्राणी की एक निश्चित संख्या का बोध होता है, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं।

इसके भी कई उपभेद हैं:

  1. गणनावाचक (Cardinal): यह सामान्य गिनती का बोध कराता है।
    • पूर्णांक बोधक: एक, दो, चार, दस, सौ, हज़ार। (जैसे - मेज पर चार पुस्तकें रखी हैं।)
    • अपूर्णांक बोधक: आधा, पौन, सवा, डेढ़, ढाई। (जैसे - मुझे ढाई किलो चीनी चाहिए।)
  2. क्रमवाचक (Ordinal): यह संख्या के क्रम या स्थान को बताता है।
    उदाहरण: पहला, दूसरा, तीसरा, दसवाँ, सौवाँ। (जैसे - कक्षा में उसका पहला स्थान आया।)
  3. आवृत्तिवाचक (Frequency): यह बताता है कि एक वस्तु दूसरी से कितनी गुनी है।
    उदाहरण: दुगुना, तिगुना, चौगुना, इकहरा, दोहरा। (जैसे - मुझे तुमसे चौगुना लाभ हुआ है।)
  4. समूह/समुदायवाचक (Collective): यह समूह का बोध कराता है।
    उदाहरण: दोनों, तीनों, चारों, आठों, दर्जन। (जैसे - तीनों मित्र एक साथ विद्यालय गए।)
  5. प्रत्येक बोधक (Distributive): यह समूह में से हर एक का बोध कराता है।
    उदाहरण: प्रत्येक, हरेक, एक-एक, सवा-सवा। (जैसे - प्रत्येक नागरिक को अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए।)

(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण (Indefinite Numeral Adjective)

जिन विशेषण शब्दों से किसी व्यक्ति, वस्तु या प्राणी की निश्चित संख्या का बोध नहीं होता, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। इनके भी प्रयोग के आधार पर कई सूक्ष्म भेद किए जा सकते हैं:

  • अधिकताबोधक: ये बड़ी संख्या का बोध कराते हैं। (जैसे: अनेक, कई, बहुत, सब, ढेरों)
    • बाढ़ में अनेक लोग बेघर हो गए।
    • मेरे पास बहुत किताबें हैं।
  • अल्पताबोधक: ये छोटी संख्या का बोध कराते हैं। (जैसे: कुछ, थोड़े, चंद, ज़रा-से)
    • मुझे कुछ रुपये चाहिए।
    • सभा में थोड़े ही लोग आए थे।
  • अनुमानबोधक: ये एक अंदाजन संख्या बताते हैं। (जैसे: लगभग, करीब, कोई)
    • कार्यक्रम में लगभग पचास हज़ार लोग थे।
    • उसकी उम्र कोई बीस साल होगी।
  • द्वित्वबोधक: ये जोड़ों या अनुमानित समूहों में संख्या बताते हैं। (जैसे: दो-चार, चालीस-पचास, सैकड़ों)
    • मुझे दो-चार दिन का समय दो।
    • इस घटना को सैकड़ों वर्ष बीत गए।

परिमाणवाचक विशेषण का प्रतीक

3. परिमाणवाचक विशेषण (Quantitative Adjective)

जो विशेषण शब्द किसी संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा, नाप या तौल का बोध कराते हैं, उन्हें परिमाणवाचक विशेषण कहते हैं। ये विशेषण केवल अगणनीय संज्ञाओं (uncountable nouns) के साथ ही प्रयोग होते हैं, अर्थात् जिन्हें मापा या तौला जाता है, गिना नहीं जाता। यह 'कितना' (मात्रा में) प्रश्न का उत्तर देता है।

इसके भी दो भेद हैं:

(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण (Definite Quantitative Adjective)

जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की एक निश्चित मात्रा या नाप-तौल का बोध होता है।

उदाहरण:

  • बाज़ार से दो किलो आलू ले आओ।
  • इस साड़ी के लिए पाँच मीटर कपड़ा लगेगा।
  • गाड़ी में दस लीटर पेट्रोल डलवा दो।
  • एक तोला सोना, चार गज ज़मीन।

(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण (Indefinite Quantitative Adjective)

जिन विशेषण शब्दों से वस्तु की निश्चित मात्रा या नाप-तौल का बोध नहीं होता।

  • अधिकताबोधक: बहुत, ज़्यादा, अधिक, ढेर सारा। (जैसे: आज मैंने बहुत काम किया।)
  • अल्पताबोधक: थोड़ा, कम, ज़रा-सा, तनिक। (जैसे: चाय में थोड़ी चीनी डालना।)

निश्चित और अनिश्चित विशेषणों में मुख्य अंतर

यह अंतर विशेषण के प्रकार (संख्यावाचक या परिमाणवाचक) और विशेष्य (गणनीय या अगणनीय) दोनों पर निर्भर करता है। इसे तालिका से आसानी से समझा जा सकता है:

विशेषण का प्रकार निश्चित रूप (Definite Form) अनिश्चित रूप (Indefinite Form)
संख्यावाचक
(गणनीय संज्ञाओं के लिए)
एक निश्चित संख्या बताता है।
जैसे: चार केले, दस पुस्तकें, पहला छात्र।
एक अनिश्चित संख्या बताता है।
जैसे: कुछ केले, कई पुस्तकें, अनेक छात्र।
परिमाणवाचक
(अगणनीय संज्ञाओं के लिए)
एक निश्चित मात्रा या माप-तौल बताता है।
जैसे: दो लीटर दूध, पाँच मीटर कपड़ा, एक किलो चीनी।
एक अनिश्चित मात्रा या माप-तौल बताता है।
जैसे: थोड़ा दूध, बहुत कपड़ा, कम चीनी।

सार्वनामिक विशेषण का प्रतीक

4. सार्वनामिक या संकेतवाचक विशेषण (Demonstrative/Pronominal Adjective)

जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से ठीक पहले आकर उसकी विशेषता बताने का कार्य करे या उसकी ओर संकेत करे, तो वह सर्वनाम न रहकर सार्वनामिक विशेषण बन जाता है। इन्हें संकेतवाचक विशेषण भी कहते हैं क्योंकि ये अक्सर संकेत करने का काम करते हैं।

महत्वपूर्ण बिंदु: पुरुषवाचक (मैं, तू, हम, तुम) और निजवाचक (आप) सर्वनामों को छोड़कर शेष सभी सर्वनाम जब संज्ञा से पहले लगते हैं तो सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं।

सार्वनामिक विशेषण के प्रमुख उपभेद:

  1. निश्चयवाचक/संकेतवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु की ओर संकेत करते हैं। (यह, वह, इस, उस, ये, वे)
    उदाहरण: यह पुस्तक मेरी है। उस घर में कौन रहता है?
  2. अनिश्चयवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये किसी अनिश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध कराते हैं। (कोई, कुछ)
    उदाहरण: दरवाज़े पर कोई आदमी खड़ा है। मुझे खाने को कुछ सामान दे दो।
  3. प्रश्नवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये प्रश्न पूछने के लिए संज्ञा के साथ आते हैं। (कौन, क्या, किस, किन)
    उदाहरण: कौन छात्र प्रथम आया है? तुम क्या चीज़ खोज रहे हो?
  4. संबंधवाचक सार्वनामिक विशेषण: ये वाक्य के दो भागों में संबंध स्थापित करते हैं। (जो, जिसका, जिसकी, जिसके)
    उदाहरण: जो व्यक्ति परिश्रम करता है, वह सफल होता है।
सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर:

यह अंतर उनके प्रयोग पर आधारित है। यदि शब्द संज्ञा के स्थान पर अकेला आता है, तो वह सर्वनाम है। यदि वह संज्ञा के ठीक पहले आकर उसकी विशेषता बताता है, तो वह सार्वनामिक विशेषण है।

  • सर्वनाम: वह पढ़ रहा है। (यहाँ 'वह' किसी लड़के के नाम की जगह आया है।)
  • सार्वनामिक विशेषण: वह लड़का पढ़ रहा है। (यहाँ 'वह' शब्द 'लड़का' (संज्ञा) की ओर संकेत कर रहा है।)

विशेषण की अवस्थाएँ (Degrees of Comparison)

गुणवाचक, अनिश्चित संख्यावाचक और अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषणों में तुलना की जा सकती है। तुलना की दृष्टि से विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं:

अवस्था परिभाषा उदाहरण
1. मूलावस्था (Positive Degree) इसमें किसी की तुलना नहीं होती, केवल किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण-दोष की सामान्य जानकारी दी जाती है। राम एक अच्छा लड़का है। दूध मीठा है।
2. उत्तरावस्था (Comparative Degree) इसमें दो व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करके एक को दूसरे से श्रेष्ठ या निम्न बताया जाता है। राम, श्याम से अधिक अच्छा है। यह सेब उस सेब की अपेक्षा अधिक मीठा है।
3. उत्तमावस्था (Superlative Degree) इसमें दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना करके किसी एक को सबसे श्रेष्ठ या सबसे निम्न बताया जाता है। राम कक्षा में सबसे अच्छा लड़का है। यह सेब मीठातम (या सबसे मीठा) है।

अवस्था-परिवर्तन के नियम (Rules for Degree Formation)

हिंदी में तुलनात्मक अवस्थाएँ बनाने के मुख्य रूप से दो तरीके हैं, जिन्हें अंग्रेजी व्याकरण के नियमों से आसानी से समझा जा सकता है:

  1. 'से अधिक' और 'सबसे अधिक' का प्रयोग: यह तरीका अंग्रेजी के 'more' और 'most' के प्रयोग जैसा है। यह अधिकांश विशेषणों के साथ प्रयोग किया जा सकता है।
    • मूलावस्था: बुद्धिमान (Intelligent)
    • उत्तरावस्था: से अधिक बुद्धिमान (more intelligent than)
    • उत्तमावस्था: सबसे अधिक बुद्धिमान (most intelligent)
  2. 'तर' और 'तम' प्रत्ययों का प्रयोग: यह तरीका संस्कृत से आए तत्सम शब्दों के साथ प्रयोग होता है और यह अंग्रेजी के '-er' और '-est' प्रत्ययों जैसा है।
    • मूलावस्था: उच्च (High)
    • उत्तरावस्था: उच्चतर (Higher)
    • उत्तमावस्था: उच्चतम (Highest)

अवस्था परिवर्तन के उदाहरण:

मूलावस्था उत्तरावस्था उत्तमावस्था
उच्च उच्चतर उच्चतम
सुंदर सुंदरतर सुंदरतम
लघु लघुतर लघुतम
अधिक अधिकतर अधिकतम
महान महत्तर महत्तम
अच्छा अधिक अच्छा सबसे अच्छा
बुद्धिमान अधिक बुद्धिमान सबसे बुद्धिमान

विशेषण शब्दों की रचना (Formation of Adjectives)

हिंदी भाषा में कुछ शब्द तो मूल रूप से ही विशेषण होते हैं (जैसे- अच्छा, बुरा, लाल, छोटा), लेकिन भाषा की समृद्धि के लिए संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया और अव्यय शब्दों में उपसर्ग या प्रत्यय लगाकर नए विशेषण शब्दों की रचना भी की जाती है।

1. संज्ञा से विशेषण बनाना:

यह विशेषण बनाने का सबसे आम तरीका है। इसमें संज्ञा शब्दों के अंत में विभिन्न प्रत्यय जोड़े जाते हैं। प्रत्येक प्रत्यय शब्द को एक विशेष अर्थ प्रदान करता है।

  • '-इक' प्रत्यय: यह 'से संबंधित' का भाव देता है। जैसे- धर्म से संबंधित -> धार्मिक।
  • '-ईय' प्रत्यय: यह भी 'से संबंधित' या 'में होने वाला' का भाव देता है। जैसे- राष्ट्र से संबंधित -> राष्ट्रीय।
  • '-वान' / '-मान' प्रत्यय: यह 'वाला' या 'युक्त' का भाव देता है। जैसे- गुण वाला -> गुणवान।
  • '-ईला' प्रत्यय: यह 'से भरा हुआ' का भाव देता है। जैसे- चमक से भरा हुआ -> चमकीला।
प्रत्यय संज्ञा निर्मित विशेषण
इकधर्म, समाज, इतिहास, दिन, विज्ञान, नीति, तर्कधार्मिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, दैनिक, वैज्ञानिक, नैतिक, तार्किक
ईयभारत, राष्ट्र, मानव, स्वर्ग, जाति, प्रदेशभारतीय, राष्ट्रीय, मानवीय, स्वर्गीय, जातीय, प्रदेशीय
ज्ञान, धन, रोग, बंगाल, जापान, शहर, ऊनज्ञानी, धनी, रोगी, बंगाली, जापानी, शहरी, ऊनी
इतसम्मान, अपमान, हर्ष, पुष्प, चिंता, फलसम्मानित, अपमानित, हर्षित, पुष्पित, चिंतित, फलित
ईलारंग, ज़हर, चमक, पत्थर, बर्फ, विषरंगीला, ज़हरीला, चमकीला, पथरीला, बर्फीला, विषैला
आलु/लुश्रद्धा, कृपा, ईर्ष्या, दयाश्रद्धालु, कृपालु, ईर्ष्यालु, दयालु
मानबुद्धि, गति, श्री, कीर्तिबुद्धिमान, गतिमान, श्रीमान, कीर्तिमान
वानगुण, बल, धन, रूप, विद्यागुणवान, बलवान, धनवान, रूपवान, विद्यावान
मयसुख, दुःख, जल, ज्ञान, आनंदसुखमय, दुखमय, जलमय, ज्ञानमय, आनंदमय
दारईमान, दुकान, समझ, मालईमानदार, दुकानदार, समझदार, मालदार
भूख, प्यास, ठंड, प्यारभूखा, प्यासा, ठंडा, प्यारा
इननमक, कुल, ग्राम, रंगनमकीन, कुलीन, ग्रामीण, रंगीन
एराचाचा, मामा, फूफा, मौसाचचेरा, ममेरा, फुफेरा, मौसेरा
इष्ठबल, गुरु, ज्येष्ठबलिष्ठ, गरिष्ठ, ज्येष्ठ
करहित, लाभ, सुखहितकर, लाभकर, सुखकर

2. सर्वनाम से विशेषण बनाना:

  • मैं → मेरा, मुझ-सा
  • हम → हमारा
  • तू → तेरा, तुझ-सा
  • तुम → तुम्हारा, तुम-सा
  • वह → वैसा, उसका
  • यह → ऐसा, इसका
  • कौन → कैसा
  • जो → जैसा

3. क्रिया से विशेषण बनाना:

क्रिया के धातु रूप में प्रत्यय लगाकर विशेषण बनाए जाते हैं।

  • भागना → भगोड़ा
  • लड़ना → लड़ाकू
  • पढ़ना → पढ़ाकू
  • बिकना → बिकाऊ
  • टिकना → टिकाऊ
  • देखना → दिखावटी
  • भूलना → भुलक्कड़
  • खाना → खाऊ

4. अव्यय से विशेषण बनाना:

अव्यय (अविकारी शब्द) जो स्थान, समय आदि का बोध कराते हैं, उनसे भी विशेषण बनते हैं।

  • स्थानवाचक अव्यय से:
    • बाहर → बाहरी (जैसे: बाहरी हिस्सा)
    • अंदर → अंदरूनी, भीतरी
    • ऊपर → ऊपरी
    • नीचे → निचला
    • सतह → सतही (जैसे: सतही ज्ञान)
  • कालवाचक अव्यय से:
    • आगे → अगला (जैसे: अगला स्टेशन)
    • पीछे → पिछला
    • आज → आज का
    • कल → कल का
    • प्रतिदिन → दैनिक

विशेषण से संबंधित महत्वपूर्ण नियम (Advanced Rules)

1. विशेषण और लिंग/वचन का संबंध

विशेषण एक विकारी शब्द है, जिसका अर्थ है कि इसका रूप लिंग, वचन और कारक के अनुसार बदल सकता है। यह परिवर्तन विशेष्य (संज्ञा) के लिंग और वचन पर निर्भर करता है।

  • विकारी विशेषण: 'आ' से अंत होने वाले विशेषण (जैसे - अच्छा, बड़ा, काला, मोटा) विशेष्य के लिंग और वचन के अनुसार बदलते हैं।
विशेषणपुल्लिंग एकवचन (लड़का)पुल्लिंग बहुवचन (लड़के)स्त्रीलिंग (लड़की/लड़कियाँ)
अच्छाअच्छा लड़काअच्छे लड़केअच्छी लड़की / अच्छी लड़कियाँ
कालाकाला घोड़ाकाले घोड़ेकाली घोड़ी / काली घोड़ियां
बड़ाबड़ा कमराबड़े कमरेबड़ी अलमारी / बड़ी अलमारियाँ
  • अविकारी विशेषण: 'आ' के अलावा अन्य स्वरों या व्यंजनों से अंत होने वाले विशेषण सामान्यतः नहीं बदलते। वे विशेष्य के लिंग या वचन के अनुसार समान रहते हैं। (जैसे - सुंदर, मेहनती, लाल, गोल)
    उदाहरण: सुंदर लड़का, सुंदर लड़की, सुंदर लड़के।

2. विशेषणों का पद-परिचय

प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर वाक्यों में रेखांकित विशेषण शब्दों का पद-परिचय पूछा जाता है। इसका अर्थ है उस शब्द का पूर्ण व्याकरणिक परिचय देना। विशेषण का पद-परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बतानी चाहिए:

  1. भेद: गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, या सार्वनामिक।
  2. उपभेद: यदि कोई हो (जैसे- निश्चित/अनिश्चित संख्यावाचक, क्रमवाचक आदि)।
  3. लिंग: विशेष्य के अनुसार (पुल्लिंग/स्त्रीलिंग)।
  4. वचन: विशेष्य के अनुसार (एकवचन/बहुवचन)।
  5. अवस्था: मूलावस्था, उत्तरावस्था, या उत्तमावस्था (यदि लागू हो)।
  6. विशेष्य: वह संज्ञा/सर्वनाम जिसकी विशेषता बताई जा रही है।

उदाहरण-1: सफेद गाय घास चर रही है।

  • सफेद: गुणवाचक विशेषण (रंगबोधक), स्त्रीलिंग, एकवचन, मूलावस्था, 'गाय' विशेष्य की विशेषता।

उदाहरण-2: राम कक्षा में सबसे बुद्धिमान छात्र है।

  • सबसे बुद्धिमान: गुणवाचक विशेषण (गुणबोधक), पुल्लिंग, एकवचन, उत्तमावस्था, 'छात्र' विशेष्य की विशेषता। ('सबसे' यहाँ प्रविशेषण का कार्य कर रहा है।)

उदाहरण-3: मुझे थोड़ा पानी चाहिए।

  • थोड़ा: अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, मूलावस्था, 'पानी' विशेष्य की विशेषता।

निष्कर्ष

विशेषण केवल व्याकरण का एक नियम नहीं, बल्कि भाषा की आत्मा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह शब्दों को शक्ति, वाक्यों को स्पष्टता और अभिव्यक्ति को गहराई प्रदान करता है। एक अच्छा लेखक या वक्ता बनने के लिए विशेषणों का सटीक और प्रभावशाली प्रयोग अत्यंत आवश्यक है। इस विस्तृत लेख के माध्यम से हमने विशेषण की परिभाषा से लेकर उसके भेदों, अवस्थाओं, रचना और परीक्षा-उपयोगी नियमों तक की गहन यात्रा की है। हमें उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए ज्ञानवर्धक और उपयोगी सिद्ध होगी।

अभ्यास प्रश्न (Practice Questions)

आइए, अपने ज्ञान को परखें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित वाक्यों में से विशेषण और विशेष्य छाँटकर लिखिए।

  1. सफेद गाय मैदान में चर रही है।
  2. मुझे दो लीटर दूध चाहिए।
  3. वह एक परिश्रमी छात्र है।
  4. कक्षा में कई बच्चे शोर कर रहे थे।
  5. यह रास्ता बहुत लंबा है।
उत्तर देखें
  1. विशेषण: सफेद, विशेष्य: गाय
  2. विशेषण: दो लीटर, विशेष्य: दूध
  3. विशेषण: परिश्रमी, विशेष्य: छात्र
  4. विशेषण: कई, विशेष्य: बच्चे
  5. विशेषण: लंबा, प्रविशेषण: बहुत, विशेष्य: रास्ता

प्रश्न 2: कोष्ठक में दिए गए शब्दों से विशेषण बनाकर रिक्त स्थान भरिए।

  1. हमें ______ (भारत) होने पर गर्व है।
  2. यह घटना ______ (इतिहास) है।
  3. वह बहुत ______ (दया) व्यक्ति है।
  4. जंगल का रास्ता ______ (खतरा) था।
  5. उसकी आवाज़ बहुत ______ (सुर) है।
उत्तर देखें
  1. भारतीय
  2. ऐतिहासिक
  3. दयालु
  4. खतरनाक
  5. सुरीली

प्रश्न 3: बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs)

  1. "बाज़ार से कुछ फल ले आओ।" - वाक्य में रेखांकित शब्द कौन-सा विशेषण है?
    (क) निश्चित संख्यावाचक (ख) अनिश्चित संख्यावाचक (ग) निश्चित परिमाणवाचक (घ) अनिश्चित परिमाणवाचक
  2. 'आलस्य' शब्द से बना विशेषण है:
    (क) आलसी (ख) आलस (ग) आलसीपन (घ) आलसान
  3. "यह लड़का बहुत होशियार है।" - वाक्य में 'बहुत' शब्द क्या है?
    (क) विशेषण (ख) विशेष्य (ग) प्रविशेषण (घ) क्रिया-विशेषण
  4. इनमें से कौन-सा शब्द गुणवाचक विशेषण नहीं है?
    (क) गोल (ख) अधिक (ग) नुकीला (घ) भीतरी
  5. "कक्षा में पहला स्थान पाने वाला छात्र कहाँ है?" - रेखांकित पद का पद-परिचय है:
    (क) गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग (ख) निश्चित संख्यावाचक (क्रमवाचक), एकवचन, पुल्लिंग (ग) सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग (घ) अनिश्चित संख्यावाचक, एकवचन, पुल्लिंग
उत्तर देखें
  1. (ख) अनिश्चित संख्यावाचक ('फल' गणनीय है)
  2. (क) आलसी
  3. (ग) प्रविशेषण
  4. (ख) अधिक (यह संख्या या परिमाण बताता है)
  5. (ख) निश्चित संख्यावाचक (क्रमवाचक), एकवचन, पुल्लिंग

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