अलंकार वह काव्यात्मक उपकरण या सौंदर्य तत्व है जिसका प्रयोग साहित्य में भावनाओं, विचारों और शब्दों की अभिव्यक्ति को अधिक आकर्षक, मार्मिक और प्रभावशाली बनाने के लिए किया जाता है। अलंकार के माध्यम से शब्दों और वाक्यों को सजाकर प्रस्तुत किया जाता है, जिससे साहित्यिक रचना की शोभा बढ़ती है और पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
अलंकार (शब्दशः: "आभूषण") का तात्पर्य काव्य या साहित्यिक रचनाओं में शब्दों और वाक्यों के ऐसे सजावटी और अलंकृत प्रयोग से है, जो उनके सौंदर्य और प्रभाव को बढ़ाता है। जैसे आभूषण शरीर को सजाते हैं, वैसे ही अलंकार रचना को सुशोभित करते हैं।
अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है- ‘आभूषण’, जिस प्रकार स्त्री की शोभा आभूषण से उसी प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है अर्थात जो किसी वस्तु को अलंकृत करे वह अलंकार कहलाता है।
शब्दालंकार
अर्थालंकार
उभयालंकार
शब्दालंकार भाषा को सजाने और उसमें जान डालने वाले विशेष शब्द होते हैं। जैसे गहने किसी स्त्री की सुंदरता बढ़ाते हैं, वैसे ही शब्दालंकार काव्य या भाषा को आकर्षक बनाते हैं।
उदाहरण:
"नदी में नौका डगमगाए।" - यहां "डगमगाए" शब्द का प्रयोग नौका की गति को दर्शाता है। यदि हम इसे बदलकर "चलती है" कर दें तो वाक्य का प्रभाव कम हो जाएगा।
1. अनुप्रास अलंकार
उदाहरण:
"कनक-कनक का फरक है, एक को देखत हरख।
एक तनिक भरि पास जब, कुम्हलायो हिय दहल॥"
इस उदाहरण में "कनक" शब्द की पुनरावृत्ति है। यहाँ पर "कनक" का अर्थ सोना और धतूरे का फूल दोनों के लिए किया गया है। इस प्रकार की पुनरावृत्ति अनुप्रास अलंकार को दर्शाती है।
अनुप्रास अलंकार के उपभेद और उदाहरण
अनुप्रास अलंकार के कई उपभेद हैं, जिनमें शब्दों में वर्णों की आवृत्ति के स्थान के आधार पर भेद किया जाता है। यहाँ पाँच मुख्य उपभेदों और उनके उदाहरणों को देखते हैं:
परिभाषा: जब किसी पद्य या वाक्य के प्रारंभ में वर्णों की आवृत्ति होती है, तो उसे चेकानुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:"चमक चमक चमकते सितारे।" (यहाँ "च" वर्ण की आवृत्ति पद्य की शुरुआत में है।)
"फल फूलों से लदे पेड़।" (यहाँ "फ" वर्ण की आवृत्ति पद्य की शुरुआत में है।)
परिभाषा: जब किसी पद्य या वाक्य के मध्य में वर्णों की आवृत्ति होती है, तो उसे वृत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:"कजरारे नैन, डगमग चाल।" (यहाँ "र" वर्ण की आवृत्ति पद्य के मध्य में है।)
"चंचल हवा में झूमते पत्ते।" (यहाँ "म" वर्ण की आवृत्ति पद्य के मध्य में है।)
परिभाषा: जब किसी पद्य या वाक्य में वर्णों की आवृत्ति लगातार कई शब्दों में होती है, तो उसे लटानुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:"सर सर सर सरसराहट करती हवा।" (यहाँ "स" वर्ण की आवृत्ति लगातार कई शब्दों में है।)
"चमचमाती चाँदनी रात।" (यहाँ "च" वर्ण की आवृत्ति लगातार कई शब्दों में है।)
परिभाषा: जब किसी पद्य या वाक्य के अंत में वर्णों की आवृत्ति होती है, तो उसे अन्त्यानुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:"हमें हैं नमन, शहीदों को।" (यहाँ "न" वर्ण की आवृत्ति पद्य के अंत में है।)
"बाग़ में खिलीं कली कली।" (यहाँ "ली" वर्ण की आवृत्ति पद्य के अंत में है।)
परिभाषा: जब किसी पद्य या वाक्य में किसी वर्ण की ध्वनि बार-बार सुनाई देती है, भले ही वह वर्ण लिखा न हो, तो उसे श्रुत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं।
उदाहरण:"हंस हंस कर कहता है राजा।" (यहाँ "ह" वर्ण की ध्वनि बार-बार सुनाई देती है।)
"वह वहाँ जाता है।" (यहाँ "व" वर्ण की ध्वनि बार-बार सुनाई देती है।)
📘 परिभाषा: यमक का अर्थ होता है 'जुड़ाव' या 'दोहराव'। जब किसी कविता या वाक्य में **एक ही शब्द का बार-बार प्रयोग** किया जाता है, लेकिन **हर बार उसका अर्थ अलग होता है**, तो वहाँ यमक अलंकार होता है।
🧠 ध्यान रखें: यहाँ शब्द का केवल पुनरावृत्ति नहीं, बल्कि **अर्थ में भी भिन्नता** आवश्यक होती है।
📝
"राम राम के चरणों में, राम नाम की लाज।
राम बिना सब सूना है, राम राम के साथ॥"
🔍 इस पंक्ति में "राम" शब्द बार-बार आया है, लेकिन अलग-अलग अर्थ में — कभी भगवान राम, कभी उनका नाम। इस प्रकार यह यमक अलंकार है।
✌️ यमक अलंकार के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं:
👉 इसमें **एक ही शब्द** की पूरी तरह से **पुनरावृत्ति होती है**, लेकिन अर्थ अलग-अलग होते हैं।
📌 उदाहरण: "मन ही मन उसे मनाना।"
🔍 यहाँ "मन" शब्द दो बार आया है — पहले का अर्थ 'हृदय' और दूसरे का अर्थ 'राज़ी करना' है।
👉 इसमें किसी शब्द का **आधा भाग या समान ध्वनि** दोहराई जाती है, लेकिन शब्द पूर्णतः समान नहीं होते।
📌 उदाहरण: "नयनों में नीर भरे हैं, मन में मीत बसे हैं।"
🔍 "नीर" और "मीत" में 'नी' की पुनरावृत्ति हुई है, जिससे यह अर्ध यमक बनता है।
यदि कविता या गद्य में एक जैसा शब्द या शब्दांश बार-बार दिखे और उसका प्रत्येक बार अलग अर्थ हो, तो वह यमक अलंकार कहलाता है। यह अलंकार भाषा की **ध्वनि-सौंदर्यता** और **शब्द-चातुर्य** को दर्शाता है।
पुनरुक्ति अलंकार वह अलंकार है जिसमें किसी शब्द का दोहराव (या अधिक बार प्रयोग) होता है, जिससे उसकी ध्वनि और प्रभावशीलता में वृद्धि होती है।
उदाहरण 1:
"चल चल, धीरे धीरे तुझे देखा है, आँखों में तेरी ज़िन्दगी नज़र आई है।"
इस उदाहरण में "चल" और "धीरे" शब्द का पुनरुक्ति अलंकार प्रयोग हुआ है।
उदाहरण 2:
"आकाश में चाँदनी, आकाश में चमक।"
इस उदाहरण में "आकाश" शब्द का पुनरुक्ति अलंकार प्रयोग हुआ है।
उदाहरण 3:
"प्यार में दीवाना, प्यार में पागल।"
इस उदाहरण में "प्यार" शब्द का पुनरुक्ति अलंकार प्रयोग हुआ है।
विप्सा अलंकार में किसी शब्द के विपरीतार्थक (उल्टे) शब्द का प्रयोग किया जाता है, जिससे उसकी महत्ता, व्याप्ति और ध्वनि में विशेष प्रभाव होता है।
उदाहरण 1:
"अंधकार में चमक, सुबह की शाम।"
इस उदाहरण में "अंधकार" और "चमक" शब्द का विप्सा अलंकार प्रयोग हुआ है।
उदाहरण 2:
"विश्वास नहीं, बेविश्वास है सही।"
इस उदाहरण में "विश्वास" और "बेविश्वास" शब्द का विप्सा अलंकार प्रयोग हुआ है।
उदाहरण 3:
"उम्मीद मर गई, आशा का अवसर।"
इस उदाहरण में "उम्मीद" और "आशा" शब्द का विप्सा अलंकार प्रयोग हुआ है।
परिभाषा: वक्रोक्ति अलंकार में वाक्य के अर्थ का विशेष रूप से विकृत (वक्र) प्रयोग होता है, जिससे वाक्य की प्रभावशीलता और भावनात्मक गहराई में वृद्धि होती है।
उदाहरण 1:
"दुनिया को खोजते-खोजते, मैं खुद को खो बैठा।"
उदाहरण 2:
"जब अधूरे सपने थे, तो आँखों में उसकी तस्वीर सी रही।"
उदाहरण 3:
"सपनों की राह पे चलते चलते, हकीकत खुद भी सवारी में हो बैठी।"
जब किसी शब्द के दो या दो से अधिक अर्थ होते हैं और वाक्य में उन सभी अर्थों का प्रयोग होता है, तो उसे श्लेष अलंकार कहते हैं।
श्लेष अलंकार में वाक्य में किसी शब्द का अधिक प्रयोग होता है, जिससे उसकी प्रभावशीलता, व्याप्ति और भावनात्मक प्रभाव बढ़ता है।
उदाहरण 1:
"सुख दुःख का अब बस एक ही मतलब है।"
उदाहरण 2:
"प्रेम प्रेम, एक ही शब्द बार-बार।"
उदाहरण 3:
"खुशी खुशी, बिताओ ये पल।"
अर्थालंकार वे अलंकार होते हैं जो शब्दों के अर्थ पर आधारित होते हैं और काव्य में अर्थ की शोभा बढ़ाते हैं।
अर्थालंकार: महत्वपूर्ण भेद और उदाहरण
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण अर्थालंकारों का विस्तृत विवरण और उदाहरण दिए गए हैं:
परिभाषा: उपमा अलंकार में उपमेय (जिसकी तुलना की जाती है) और उपमान (जिससे तुलना की जाती है) की समानता दर्शाई जाती है।
उदाहरण:
"तेरी आँखें चंचल मृगनयनी।"
(यहाँ उपमेय "आँखें" और उपमान "मृगनयनी" हैं। मृगनयनी का अर्थ है मृग की
आँखें, जो चंचल और सुंदर होती हैं।)
उपमेय: उपमेय का अर्थ होता है उपमा देने के योग्य। जब जैसी वस्तु समानता किसी सरल वस्तु से जाए, तो उसे उपमेय कहते हैं। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें "मुख" उपमेय है।
उपमान: उपमेय की उपमा जिससे दी जाती है, उसे उपमान कहते हैं। उपमान वह वस्तु है जिससे उपमेय की तुलना की जाती है। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें “चाँद” उपमान है।
वाचक शब्द: जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है, तब जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें “सा” वाचक शब्द है।
साधारण धर्म: दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जिस गुण की समानता को दिखाया जाता है, वह साधारण धर्म कहलाता है। जैसे: मुख चाँद-सा सुंदर है। इसमें “सुंदर” साधारण धर्म है।
रूपक अलंकार में दो वस्तुओं के बीच सामान्य गुण, लक्षण या धर्मों की तुलना करके उन्हें समर्पित किया जाता है। इस प्रकार की तुलना से वाक्य में रस, भावना और विचार को गहराया जाता है।
रूपक अलंकार के उदाहरण:
उदाहरण 1:
"वह शेर है, जिसकी आँखों में दहाड़ होती है।"
इस वाक्य में "वह शेर" उपमा है और "जिसकी आँखों में दहाड़ होती है" उपमित है। यहाँ पर शेर के आँखों में दहाड़ होना उसकी शक्ति और प्रभावशीलता को संकेतित करता है।
उदाहरण 2:
"वह चाँदनी का तुझसे भी चमकना मुश्किल है, ओ मेरे सूरज किरणों सी धड़कने लगा है।"
इस वाक्य में "चाँदनी" उपमा है और "सूरज किरणों सी धड़कने लगा है" उपमित है। यहाँ पर चाँदनी की चमक और सूरज की किरणों की धड़कन व्यक्ति के भावनात्मक स्थिति को दर्शाती है।
उदाहरण 3:
"वह विद्या का सागर है, जिससे हमारी ज्ञान की प्यास बुझती है।"
इस वाक्य में "विद्या" उपमा है और "हमारी ज्ञान की प्यास बुझना" उपमित है। यहाँ पर विद्या के सागर से हमारी ज्ञान की प्यास को शक्ति और सम्पूर्णता के साथ प्रकट किया गया है।
परिभाषा: उत्प्रेक्षा अलंकार में उपमेय में उपमान की संभावना की जाती है। इसमें कुछ शब्दों को छोड़कर वाक्य का अर्थ प्रस्तुत किया जाता है, जिससे पाठक को विचारों की अनुभूति मिलती है।
उदाहरण:
"सोहत ओढ़ै पीत पट स्याम सलोने गात।
मनो नीलमनि सैल पर आतप परयो प्रभात।"
इस वाक्य में "सोहत", "मनो" और "परयो" शब्दों का उपयोग उत्प्रेक्षा अलंकार का उच्चारण है। यहाँ पर इन शब्दों को छोड़कर वाक्य का अर्थ प्रस्तुत किया गया है, जिससे वाक्य में एक विशेष प्रभाव बनता है और पाठक को रीति और रस का अनुभव होता है।
परिभाषा: व्यंग्य अलंकार में किसी बात को अप्रत्यक्ष रूप से कहा जाता है।
उदाहरण:
"वाह! कितनी अच्छी बात है!"
(यहाँ व्यंग्य से वक्ता की असहमति व्यक्त की गई है। वक्ता सीधे तौर पर कहने
की बजाए व्यंग्यात्मक ढंग से कह रहा है।)
परिभाषा: जहाँ पर कोई एक शब्द एक ही बार आता है, लेकिन उस शब्द के अर्थ भिन्न-भिन्न निकलते हैं, तो वहाँ पर ‘श्लेष अलंकार’ होता है।
श्लेष अलंकार में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। पहली, एक शब्द के एक
से अधिक अर्थ हो। दूसरी, एक से अधिक अर्थ प्रकरण में अपेक्षित हो।
उदाहरण:
"बादल गरजे, तो गांव के लोग आशावादी बन जाते हैं।"
इस वाक्य में "गरजे" शब्द का दो भिन्न अर्थ हैं। एक तो यहाँ गरजने का अर्थ है, और दूसरा यहाँ पर आवाज देने का अर्थ है। इस प्रकार, शब्द "गरजे" का दोनों स्थानों में भिन्न-भिन्न अर्थ प्रकट होते हैं और इसे श्लेष अलंकार का उच्चारण कहा जाता है।
6. विरोधाभास अलंकार
परिभाषा: विरोधाभास अलंकार में परस्पर विरोधी भावों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
"मैं जीता हूँ मरकर।"
(यहाँ जीवन और मृत्यु जैसे परस्पर विरोधी भावों का प्रयोग किया गया है।
वक्ता कह रहा है कि वह मरकर भी जी रहा है, जिससे एक विरोधाभास उत्पन्न होता
है।)
7. मानवीकरण अलंकार
परिभाषा: मानवीकरण अलंकार में निर्जीव वस्तुओं को मानवीय गुणों से युक्त दिखाया जाता है।
उदाहरण:
"पवन हवाएँ गीत गा रही हैं।"
(यहाँ हवाओं को मानवों की तरह गीत गाते हुए दिखाया गया है, जिससे उन्हें
मानवीय गुण प्रदान किए गए हैं।)
8. दृष्टांत अलंकार
परिभाषा: दृष्टांत अलंकार में किसी कथन की सत्यता को एक उदाहरण या कहानी के माध्यम से समझाया जाता है।
उदाहरण:
"जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है, वैसे ही मैं तुम्हारे बिना व्याकुल
हूँ।"
(यहाँ मछली के उदाहरण से विरह की व्यथा को समझाया गया है। मछली का बिना
पानी के तड़पना, विरह की व्यथा को प्रकट करने के लिए उपयोग किया गया है।)
9. संदेह अलंकार
परिभाषा: संदेह अलंकार में वक्ता किसी वस्तु या भावना के विषय में संदेह व्यक्त करता है।
उदाहरण:
"चाँद है या कोई दीप जल रहा है?"
(यहाँ चाँद और दीप के बीच संदेह व्यक्त किया गया है। वक्ता को यह संदेह है
कि जो चमक रहा है वह चाँद है या दीप।)
10. अतिश्योक्ति अलंकार
परिभाषा: अतिश्योक्ति अलंकार में किसी वस्तु या भावना की अतिशयता या अत्यधिकता बताई जाती है।
उदाहरण:
"मैंने सैकड़ों बार तुम्हें समझाया।"
(यहाँ "सैकड़ों बार" शब्द का प्रयोग अतिशयोक्ति के लिए किया गया है। असल
में, वक्ता ने शायद कुछ ही बार समझाया होगा, पर इसे सैकड़ों बार कहकर
अत्यधिकता दर्शाई गई है।)
11. विशेषोक्ति अलंकार
परिभाषा: विशेषोक्ति अलंकार में किसी वस्तु या भावना के विशेष गुण का वर्णन किया जाता है।
उदाहरण:
"उसकी मीठी वाणी सबको मोह लेती है।"
(यहाँ वाणी की विशेषता "मीठी" बताई गई है, जिससे उसकी वाणी की मोहकता प्रकट
होती है।)
12. समासोक्ति अलंकार
परिभाषा: समासोक्ति अलंकार में संक्षेप में किसी वस्तु या भावना का पूरा चित्र खड़ा कर दिया जाता है।
उदाहरण:
"सिर झुकाकर चलता है, मानो कोई अपराधी हो।"
(यहाँ संक्षिप्त वाक्य से व्यक्ति के अपराधी होने का आभास दिया गया है।
व्यक्ति के सिर झुकाकर चलने से उसकी अपराधी जैसी स्थिति बताई गई है।)
13. पर्याय अलंकार
परिभाषा: पर्याय अलंकार में किसी वस्तु या भावना के पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
उदाहरण:
"वीर जवान, मातृभूमि की रक्षा करते हैं।"
(यहाँ "वीर जवान" और "रक्षक" पर्यायवाची शब्द हैं। वीर जवान का मतलब है कि
वे मातृभूमि की रक्षा करने वाले रक्षक हैं।)
उभयालंकार शब्दालंकार और अर्थालंकार के संयोग से बनने वाला अलंकार है। इसमें शब्दों की ध्वनि और शब्दों के अर्थ दोनों मिलकर काव्य में चमत्कार उत्पन्न करते हैं।
उभयालंकार: शब्द और अर्थ का संगम
उभयालंकार को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है:
1. संसृष्टि अलंकार
परिभाषा: संसृष्टि अलंकार में शब्दों की अनुप्रास या यमक आदि जैसी विशेषताएँ होती हैं, साथ ही साथ वाक्य में अर्थालंकार का भी प्रयोग होता है। शब्दों की विशेषता और अर्थ दोनों मिलकर चमत्कार पैदा करते हैं।
उदाहरण:
"आग लगाकर राख किया।"
(यहाँ "आग" और "राख" में अनुप्रास है, साथ ही वाक्य विनाश का बोध कराता है
(अर्थालंकार)। "आग" और "राख" शब्दों की ध्वनि और उनका अर्थ दोनों मिलकर
वाक्य को चमत्कृत करते हैं।)
2. संकर अलंकार
परिभाषा: संकर अलंकार में कई अलंकारों का ऐसा मिश्रण होता है कि उन्हें अलग-अलग पहचानना कठिन होता है। शब्दों की विशेषता (शब्दालंकार) और अर्थ में चमत्कार (अर्थालंकार) एक दूसरे में इस प्रकार घुलमिल जाते हैं कि दोनों अलग से स्पष्ट नहीं होते।
उदाहरण:
"चंचल हवा में नाचती हैं कलियाँ।"
(यहाँ "च" वर्ण की आवृत्ति (अनुप्रास) है, साथ ही वाक्य में गति और सौंदर्य
का चित्रण है (अर्थालंकार)। "चंचल हवा" और "नाचती हैं कलियाँ" में ध्वनि और
अर्थ दोनों का संगम है। दोनों इतने घुलमिल गए हैं कि अलग से पहचानना
मुश्किल है।)
उपमा अलंकार की परिभाषा दीजिए और उदाहरण दीजिए।
रूपक अलंकार की विशेषता और उदाहरण दीजिए।
उपमिति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण दीजिए।
अनुप्रास अलंकार का मतलब और उदाहरण दीजिए।
यमक अलंकार की विशेषता और उदाहरण दीजिए।
उपमा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण:
रूपक अलंकार की विशेषता और उदाहरण:
उपमिति अलंकार की परिभाषा और उदाहरण:
अनुप्रास अलंकार का मतलब और उदाहरण:
यमक अलंकार की विशेषता और उदाहरण: