"एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द" वे शब्द होते हैं जो एक ही अर्थ को संदर्भित करते हैं और जिनका अर्थ स्पष्ट और साफ होता है। इन शब्दों का उपयोग भाषा में स्पष्टता और सहजता लाने के लिए किया जाता है। उनका उपयोग कई बार अवगति के लिए भी किया जाता है।
| एकार्थक शब्द | अर्थ |
|---|---|
| अगोचर | जिसे इन्द्रियों द्वारा नहीं प्रज्ञा द्वारा जाना जाय |
| अज्ञात | जिसका पता न हो |
| अज्ञेय | जिसका बोध असंभव हो |
| अधिक | आवश्यकतासे ज्यादा। जैसे- बाढ़ में गंगा में जल अधिक हो जाता है। |
| अध्यक्ष | किसी गोष्ठी, समिति, परिषद् या संस्था के स्थायी प्रधान को अध्यक्ष कहते है। |
| अनबन | दो व्यक्तियों का आपस में न बनना |
| अनभिज्ञ | जिसे पता न हो |
| अनुकम्पा | बहुत कृपा।किसी के दुःख से दुखी होकर उसपर की गयी दया। |
| अनुकूल | अपने पक्ष के मुताबिक |
| अनुग्रह | कृपा।किसी छोटे से प्रसत्र होकर उसका कुछ उपकार या भलाई करना। |
| अनुदान | आर्थिक सहायता |
| अनुभव | अभ्यासादि द्वारा प्राप्त ज्ञान |
| अनुभूति | चिन्तन-मननादि द्वारा आंतरिक ज्ञान |
| अनुराग | किसी विषय या व्यक्ति पर शुद्धभाव से मन केन्द्रित करना। |
| अनुरूप | रूप के अनुसार |
| अनुरोध | अनुरोध बराबरवालों से किया जाता है। |
| अनुसंधान | छानबीन, जाँच-पड़ताल |
| अन्तःकरण | विशुद्ध मन की विवेकपूर्ण शक्ति। |
| अन्वेषण | अज्ञात पदार्थ स्थानादि का पता लगाना |
| अपयश | स्थायी रूप से दोषी होना। |
| अपराध | सामाजिक कानून का उल्लंघन अपराध है। जैसे- हत्या। |
| अपरिचित | नावाकिफ |
| अभिज्ञ | अनेक विषयों का ज्ञानी |
| अभिनन्दन | किसी श्रेष्ठ का मान या स्वागत। |
| अभिनेत्री | रंगमंच पर नारी की भूमिका अदा करनेवाली |
| अभिमान | प्रतिष्ठा में अपने को बड़ा और दूसरे को छोटा समझना। |
| अभिलाषा | किसी विशेष वस्तु की हार्दिक इच्छा। |
| अमूल्य | जिसकी कीमत कोई न दे सके |
| अर्चना | धूप, दीप, फूल, इत्यादि, से देवता की पूजा। |
| अर्पण | अपने से बड़ों के लिए |
| अलौकिक | उत्तम गुणवाला |
| अवस्था | जीवन के कुछ बीते हुए काल या स्थिति को'अवस्था' कहते है। जैसे- आपको अवस्था क्या होगी ? रोगी की अवस्था कैसी है ? |
| अशुद्धि | लायी गई भूल |
| अस्त्र | वह हथियार, जो फेंककर चलाया जाता है। जैसे- तीर,बर्छी आदि। |
| अस्वाभाविक | प्रकृति-विरुद्ध |
| अहंकार | मन का गर्व। झूठे अपनेपन का बोध। |
| आगामी | आगे आनेवाला समय |
| आज्ञा | आदरणीय या पूज्य व्यक्ति द्वारा किया गया कार्यनिर्देश। जैसे-पिताजी की आज्ञा है कि मैं धूप में बाहर न जाऊँ। |
| आत्मा | जीवों में चेतन, अतीन्द्रिय और अभौतिक तत्व, जिसका कभी नाश नहीं होता। |
| आदरणीय | अपने से बड़ों या महान् व्यक्तियों के प्रति सम्मानसूचक शब्द। |
| आदि | साधारणतः एक या दो उदाहरण के बाद 'आदि' का प्रयोग होता है। |
| आदेश | किसी अधिकारी व्यक्ति द्वारा दिया गया कार्यनिर्देश। जैसे- जिलाधीश का आदेश है कि नगर में सर्वत्र शान्ति बनी रहे। |
| आधि | मानसिक कष्ट |
| आमंत्रण | किसी समारोह में सम्मिलित होने के लिए सामान्य बुलावा |
| आयु | सम्पूर्ण जीवन की अवधि को'आयु'कहते है। जैसे -आप दीर्घायु हों।आपकी आयु लम्बी हो। |
| आराधना | किसी देवता या गुरुजन के समक्ष दया याचना |
| आशंका | जान जाने का खतरा |
| आसक्ति | मोहजनित प्रेम को'आसक्ति' कहते है। |
| आह्लाद | वह प्रसन्नता, जो क्षणिक, पर तीव्र भावों से संबंधित हो |
| इच्छा | किसी भी वस्तु की साधारण चाह। |
| इत्यादि | साधारणतः दो से अधिक उदाहरण के बाद'इत्यादि' का प्रयोग होता है। |
| ईर्ष्या | दूसरों की उन्नति से जलना |
| उत्साह | काम करने की बढ़ती हुई रुचि। |
| उदाहरण | किसी बात को सिद्ध करने के दिया गया प्रमाण |
| उद्योग | उद्यम, परिश्रम |
| उपकरण | वह सामग्री जो किसी कार्य की सिद्धि के लिए जुटायी जाती है |
| उपादान | किसी पदार्थ के निर्माण करने की साम्रगी |
| उपाय | समस्या, सुलझना |
| उपासना | अपने इष्टदेश से किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए एक निष्ठ साधना करना |
| उल्लास | किसी अभिलषित पदार्थ की प्राप्ति की आशा में जो आनंदानुभूति हो |
| ऋषि | सत्य का साक्षात्कार, आविष्कार करनेवाला |
| कंगाल | जिसे पेट पालने के लिए भीख माँगनी पड़े। |
| कर्मठ | जिस काम पर लगाया जाय उसपर लगा रहनेवाला। |
| कलंक | कुसंगति के कारण चरित्र पर दोष लगाना। |
| कष्ट | आभाव या असमर्थता के कारण मानसिक और शारीरिक कष्ट होता है। |
| काफी | आवश्यकता से अधिक। जैसे- गर्मी में भी गंगा में काफी पानी रहता है। |
| कुशल | जो हर काम में मानसिक तथा शारीरिक शक्तियों का अच्छा प्रयोग करना जानता है। |
| कृपा | दूसरे के कष्ट दूर करने की साधरण चेष्टा। |
| क्रांति | जनसाधारण द्वारा शासन को उलटने के लिए किया गया संघर्ष |
| क्लेश | यह मानसिक अप्रिय भावों या अवस्थाओं का सूचक है। |
| क्षोभ | सफलता न मिलने या असामाजिक स्थिति पर दुखी होना। |
| खटपट | दो पक्षों के बीच झगड़ा |
| खेद | किसी गलती पर दुःखी होना। जैसे-मुझे खेद है कि मैं समय पर न पहुँच सका। |
| ग्रन्थ | इससे पुस्तक के आकर की गुरुता और विषय के गाम्भीर्य का बोध होता है। |
| ग्लानि | किसी पाप या अपराध का अफ़सोस |
| घमण्ड | सभी स्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना। |
| चित्त | चित्त में बातों का स्मरण-विस्मरण होता है। |
| ज्ञान | इन्द्रियों द्वारा प्राप्त हर अनुभव। |
| त्रास | भयंकर डर |
| त्रुटि | कमी का भाव प्रकट होना |
| दक्ष | जो हाथ से किए जानेवाले काम अच्छी तरह और जल्दी करता है। जैसे-वह कपड़ा सीने में दक्ष है। |
| दया | दूसरे के दुःख को दूर करने की स्वाभाविक इच्छा। |
| दर्प | नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमण्ड करना। |
| दर्शन करना | सम्मान अर्थ में |
| दीन | निर्धनता के कारण जो दयापात्र हो चुका है। |
| दुःख | साधारण कष्ट या मानसिक पीड़ा। |
| दुर्मूल्य | जिसका मूल्य हैसियत से ज्यादा हो |
| दृष्टांत | किसी बात की परिपुष्टि के लिए दिया गया तथ्य |
| देखना | सामान्य अर्थ में |
| दोष | उचित-अनुचित का भाव |
| नमस्कार | बराबरवालों के लिए |
| नमस्ते | बराबरवालों के लिए |
| नायिका | नाटक या उपन्यास की मुख्य नारी |
| निकट | सामीप्य का बोध। जैसे-मेरे गाँव के निकट एक स्कूल है। |
| निधन | महान् और लोकप्रिय व्यक्ति की मृत्यु को'निधन' कहा जाता है। |
| निपुण | जो अपने कार्य या विषय का पूरा-पूरा ज्ञान प्राप्त कर उसका अच्छा जानकार बन चुका है। |
| निबन्ध | ऐसी गद्यरचना, जिसमें विषय गौण हो और लेखक का व्यक्तित्व और उसकी शैली प्रधान हो। |
| निमंत्रण | भोजनादि के लिए विशेष बुलावा |
| निर्णय | फैसला करना |
| निर्बला | कमजोर स्त्रियों के लिए |
| न्याय | इन्साफ करना |
| पत्नी | किसी की विवाहिता के लिए |
| परिचर्या | रोगी की सेवा |
| पाप | नैतिक नियमों का उल्लंघन 'पाप'है। जैसे- झूठ बोलना। |
| पारितोषिक | किसी प्रतियोगिता में विजयी को |
| पास | अधिकार के सामीप्य का बोध। जैसे-धनिकों के पास पर्याप्त धन है। |
| पीड़ा | रोग-चोट आदि के कारण शारीरिक'पीड़ा' होती है। |
| पुत्र | अपना बेटा |
| पुरस्कार | किसी अच्छे काम के लिए |
| पुलिन | नदी तट की गीली भूमि |
| पुस्तक | साधारणतः सभी प्रकार की छपी किताब को 'पुस्तक' कहते है। |
| पूजनीय | पिता, गुरु या महापुरुषों के प्रति सम्मानसूचक शब्द। |
| प्रणय | सख्यभावमिश्रित अनुराग।जैसे- राधा-माधव का प्रणय। |
| प्रणाम | बड़ों को'प्रणाम' किया जाता है। |
| प्रतिदान | बदले में कुछ देना |
| प्रदान | बड़ों की ओर से छोटों को |
| प्राणिपात | चरणों को इस प्रकार छूना जिसमें नाक, घुटने और वक्षस्थल भी धरती का स्पर्श कर रहे हों |
| प्रार्थना | ईश्वर या बड़ों के लिए |
| प्रेम | व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होता है। जैसे-ईश्र्वर से प्रेम, स्त्री से प्रेम आदि। |
| बचपन | बच्चे की अवस्था |
| बड़प्पन | महत्ता, स्वभाव की उच्चता |
| बड़ा | आकार का बोधक। जैसे-हमारा मकान बड़ा है। |
| बड़ाई | प्रशंसा |
| बड़ापन | अकार में बड़ा होना |
| बधाई | किसी की उपलब्धि से अपनी प्रसन्नता प्रकट करते हुए उसकी उन्नति की शुभकामना |
| बन्धु | आत्मीय मित्र या सम्बन्धी। |
| बहुत | परिमाण का बोधक। जैसे- आज उसने बहुत खाया। |
| बहुमूल्य | बहुत कीमती वस्तु, पर जिसका मूल्य-निर्धारण किया जा सके। |
| बालक | कोई भी लड़का। |
| बुद्धि | कर्तव्य का निश्रय करती है। |
| भिन्न | अलग होना |
| भ्रम | जो नहीं है उसे मान बैठना (साँप को रस्सी या रस्सी को साँप) |
| मन | मन में संकल्प-विकल्प होता है। |
| महाशय | सामान्य लोगों के लिए'महाशय' का प्रयोग होता है। |
| महिला | भले घर की स्त्री। |
| महोदय | अपने से बड़ों को या अधिकारियों को'महोदय'लिखा जाता है। |
| मित्र | वह पराया व्यक्ति, जिसके साथ आत्मीयता हो। |
| मृत्यु | सामान्य शरीरान्त को'मृत्यु' कहते है। |
| यातना | आघात में उत्पत्र कष्टों की अनुभूति(शारीरिक) । |
| राजा | एक साधारण भूपति। |
| लज्जा | शर्म (साधारण अर्थ में) |
| लेख | ऐसी गद्यरचना, जिसमें वस्तु या विषय की प्रधानता हो। |
| वन्दना | देव बुद्धि से स्तुति करते हुए हाथ जोड़कर प्रणाम करना |
| विच्छृंखलता | उद्दण्डता |
| विज्ञ | किसी खास विषय का ज्ञानी |
| विद्रोह | शासन के विरुद्ध कार्य |
| विपरीत | उल्टा होना |
| विश्र्वास | सामने हुई बात पर भरोसा करना, बिलकुल ठीक मानना। |
| विषाद | अतिशय दुःखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ होना। |
| वेदना | शारीरिक कष्ट |
| व्यथा | किसी आघात के कारण मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट या पीड़ा। |
| व्याधि | शारीरिक कष्ट |
| व्रीडा | स्वाभाविक लज्जा होना |
| शंका | शक |
| शस्त्र | वह हथियार जो हाथ में थामकर चलाया जाता है। जैसे- तलवार। |
| शुश्रूषा | दीन-दुखियों और रोगियों की सेवा |
| शोक | किसी की मृत्यु पर दुःखी होना। जैसे-गाँधी की मृत्यु से सर्वत्र शोक छा गया। |
| संकोच | किसी काम के करने में हिचक होना |
| संत | पवित्र, निष्काम, निर्विरोध जीवन जीनेवाला |
| संदेह | दुविधा होना (साँप को रस्सी या रस्सी को साँप) |
| सखा | जो आपस में एकप्राण, एकमन, किन्तु दो शरीर है। |
| सभापति | किसी आयोजित बड़ी अस्थायी सभा के प्रधान को 'सभापति' कहते है। |
| सम्राट | राजाओं का राजा। |
| सहयोग | किसी काम को मिल-जुलकर करना |
| सहानुभूति | दूसरे के दुःख को अपना दुःख समझना। |
| सहायता | किसी काम में मदद करना/ हाथ बँटाना |
| साथी | जो जीवन भर साथ निभाए |
| साधारण | जो वस्तु या व्यक्ति एक ही आधार पर आश्रित हो। जिसमें कोई विशिष्ट गुण या चमत्कार न हो। |
| सामान्य | जो बात दो अथवा कई वस्तुओं तथा व्यक्तियों आदि में समान रूप से पायी जाती हो, उसे 'सामान्य' कहते है। |
| साहस | भय पर विजय प्राप्त करना। |
| सुहृद् | अच्छा हृदय रखनेवाला। |
| सेवा | गुरुजनों की टहल। |
| सैकत | नदी तट की रेतीली भूमि |
| स्त्री | कोई भी औरत। |
| स्त्रेह | अपने से छोटों के प्रति'स्त्रेह' होता है। जैसे- पुत्र से स्त्रेह। |
| स्त्रेह | छोटों के प्रति प्रेमभाव रखना। |
| स्वच्छंदता | नियम पालन नहीं कर स्वच्छंद रहना |
| स्वतंत्रता | 'स्वतंत्रा'का प्रयोग व्यक्तियों के लिए होता है। जैसे- भारतीयों को स्वतंत्रा मिली है। |
| स्वागत | अपनी सभ्यता और प्रथा के वश किसी को सम्मान देना। |
| स्वर्ण | सोने का बोधक। जैसे- स्वर्ण आभूषण। |
| स्वर्णिम | सोने के रंग का बोधक। जैसे- स्वर्णिम आभा। |