निपात - परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

निपात अव्यय शब्दों का एक ऐसा समूह है जो वाक्य में किसी शब्द या पद के अर्थ में विशेष प्रकार का बल या भाव उत्पन्न करते हैं। ये शब्द स्वतंत्र रूप से वाक्य में अर्थ नहीं देते हैं, अपितु किसी अन्य शब्द या पद के साथ जुड़कर उसका अर्थ स्पष्ट या प्रबल करते हैं।

निपात के भेद


निपातों को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें से कुछ प्रमुख वर्गीकरण इस प्रकार हैं:

1. अर्थ के आधार पर:

अर्थबोधक निपात: ये निपात वाक्य में किसी विशेष अर्थ को दर्शाते हैं, जैसे कि:
हेतुबोधक: 'तक', 'लिए', 'वास्ते' (जैसे, मैं तुम्हारे लिए यह काम करूंगा)
समयबोधक: 'तब', 'तक', 'जब', 'पहले' (जैसे, मैं जब भी तुम्हें देखता हूँ, खुश हो जाता हूँ)
स्थानबोधक: 'में', 'पर', 'तक', 'से' (जैसे, मैं घर में हूँ)
उपायबोधक: 'से', 'द्वारा', 'के द्वारा' (जैसे, काम तू ही करेगा)
सादृश्यबोधक: 'जैसे', 'यथा' (जैसे, वह सूरज के समान चमकता है)
अस्वीकारबोधक: 'न', 'नहीं' (जैसे, मैं नहीं जाऊँगा)
प्रश्नबोधक: 'क्या', 'कभी', 'कहीं' (जैसे, क्या तुम आ रहे हो?)
आश्चर्यबोधक: 'कितना', 'कैसे', 'कहाँ' (जैसे, कितना सुंदर दृश्य है!)
अर्थनिरपेक्ष निपात: ये निपात वाक्य में किसी विशेष अर्थ को नहीं दर्शाते हैं, अपितु वाक्य को जोड़ने या वाक्य के अंगों को क्रम देने का कार्य करते हैं, जैसे कि:
योजक निपात: 'और', 'लेकिन', 'क्योंकि', 'तथापि' (जैसे, मैं गया और आ गया)
क्रमबोधक निपात: 'पहले', 'फिर', 'बाद में', 'अंत में' (जैसे, पहले मैं खाना खाऊँगा, फिर सोऊँगा)
उपरोक्त निपात: 'ही', 'भी', 'मात्र' (ज वही मेरा दोस्त है)
निषेधात्मक निपात: 'न', 'नहीं' (जैसे, मैं नहीं गया)

2. रूप के आधार पर:

सरल निपात: एक शब्द वाले निपात, जैसे कि 'भी', 'ही', 'तक'
सम्मिश्र निपात: दो या दो से अधिक शब्दों से बने निपात, जैसे कि 'इसलिए', 'ज्यों-ज्यों', 'तभी-तब'

3. प्रयोग के आधार पर:

वाक्य निपात: जो पूरे वाक्य को जोड़ते हैं, जैसे कि 'लेकिन', 'क्योंकि'
पद निपात: जो किसी विशेष शब्द या पद को प्रभावित करते हैं, जैसे कि 'ही', 'भी'

निपातों का प्रयोग


निपातों का प्रयोग वाक्यों में विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रयोग इस प्रकार हैं: 

किसी शब्द या पद के अर्थ को स्पष्ट करना: मैं भी जा रहा हूँ। (यहाँ 'भी' निपात वक्ता के जाने की इच्छा को स्पष्ट करता है)

किसी शब्द या पद के अर्थ को प्रबल करना: वह बहुत सुंदर है। (यहाँ 'बहुत' निपात सुंदरता के भाव को प्रबल करता है)

वाक्य में किसी विशेष भाव को व्यक्त करना: काश मैं तुम्हारी जगह होता! (यहाँ 'काश' निपात इच्छा का भाव व्यक्त करता है)

वाक्य के अंगों को क्रमबद्ध करना 


निपातों का एक महत्वपूर्ण कार्य वाक्य के विभिन्न पदों या खंडों को एक निश्चित क्रम में रखना होता है।
उदाहरण के लिए:
क्रमबोधक निपात:ये निपात वाक्य में घटने वाली क्रियाओं या घटनाओं के क्रम को स्पष्ट करते हैं, जैसे कि 'पहले', 'फिर', 'बाद में' (जैसे, पहले मैंने खाना खाया, फिर सो गया)

निपातों के उदाहरण वाक्यों में

निम्नलिखित उदाहरण वाक्यों में निपातों के प्रयोग को देखें:


वह तो बहुत मेहनती है। (यहाँ 'तो' निपात बल देता है)
यदि तुम मेरी बात मानते, तो यह न होता। (यहाँ 'यदि' निपात शर्त को व्यक्त करता है)
तुम कब आ रहे हो? (यहाँ 'कब' निपात प्रश्नबोधक है)
मैं नहीं जा सकता। (यहाँ 'नहीं' निपात निषेध को व्यक्त करता है)
हम लेकिन कोशिश कर सकते हैं। (यहाँ 'लेकिन' निपात विपरीतार्थक बोध कराता है)
तुम भी आ जाओ। (यहाँ 'भी' निपात समावेश को दर्शाता है)
निपातों का महत्व

निपात हिंदी भाषा को लचीला और प्रभावी बनाते हैं। इनके प्रयोग से हम अपनी बात को स्पष्ट, सटीक और भावपूर्ण ढंग से व्यक्त कर सकते हैं। निपातों के सटीक प्रयोग से भाषा में चेतनता आती है और वाक्य अधिक रोचक बनते हैं। 

अभ्यास


निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त निपातों से भरें:


वह ..... जल्दी सो गया। (तब, कभी)
तुम ..... मेरी बात मानोगे, तो तुम्हारा भला होगा। (यदि, जब)
हम ..... घूमने चलें। (चलो, चलते हैं)
दिए गए वाक्यों में निपातों को पहचानें और उनके भेद बताएं।

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