लोकोक्ति(Proverbs) :- लोकोक्ति एक प्रकार का मुहावरा या कहावत होती है जो समाज में प्रचलित होती है और जिसे लोग किसी विशेष संदर्भ या परिस्थिति में इस्तेमाल करते हैं। लोकोक्ति आमतौर पर संक्षिप्त और सारगर्भित होती है, जिसमें किसी जीवन की गहरी सच्चाई या अनुभव को रोचक और सटीक ढंग से व्यक्त किया जाता है। इसका उद्देश्य किसी विशेष स्थिति या व्यक्ति के बारे में सटीक टिप्पणी करना या कोई नैतिक संदेश देना होता है।
लोकोक्ति | अर्थ |
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अंगारों पर पानी डालना | क्रोध को शांत करना। |
अंधा क्या चाहे, दो आँखे | जिनके पास कुछ नहीं होता, उन्हें वही चाहिए जो उनकी मूलभूत आवश्यकता है। |
अंधा बाँटे रेवड़ियाँ, फिर-फिर अपनों को दे | पक्षपाती व्यक्ति लाभ की वस्तु अपने लोगों को ही देता है। |
अंधे के हाथ बटेर लगना | अकस्मात लाभ होना। |
अंधे के हाथ बटेर लगना | अनजाने में लाभ होना। |
अंधे को क्या चाहिए? दो आँखें | मूर्ख व्यक्ति को उसकी आवश्यकता का आभास न होना। |
अंधेर नगरी चौपट राजा | जहाँ न्याय और व्यवस्था का अभाव हो। |
अंधेरे में तीर चलाना | अनुमान से कार्य करना। |
अंधों की बस्ती में आइना बेचना | जहाँ आवश्यकता न हो वहाँ वस्तु बेचना। |
अंधों में काना राजा | जहाँ सब अयोग्य हों, वहाँ थोड़ी सी योग्यता वाला भी श्रेष्ठ माना जाता है। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता | एक व्यक्ति अकेला कुछ बड़ा कार्य नहीं कर सकता। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता | एक व्यक्ति अकेला बड़ा कार्य नहीं कर सकता। |
अक्ल का अंधा | मूर्ख व्यक्ति। |
अक्ल का दुश्मन | मूर्ख व्यक्ति। |
अक्ल बड़ी या भैंस | बुद्धि शारीरिक शक्ति से बड़ी होती है। |
अधकचरा ज्ञान | अपूर्ण ज्ञान खतरनाक होता है। |
अधजल गगरी छलकत जाए | अल्प ज्ञान अधिक दिखावा करता है। |
अधूरा ज्ञान खतरनाक होता है | थोड़ा सा ज्ञान हानिकारक होता है। |
अधूरी छोड़ना | काम को बीच में ही छोड़ देना। |
अपना उल्लू सीधा करना | स्वार्थ सिद्ध करना। |
अपना घर फूँक तमाशा देखना | स्वयं का नुकसान कर दूसरों का मनोरंजन करना। |
अपना हाथ जगन्नाथ | अपने हाथ से किया काम ही भरोसेमंद होता है। |
अभी दिल्ली दूर है | अभी लक्ष्य प्राप्ति में बहुत समय है। |
असली रंग दिखाना | वास्तविक स्वभाव प्रकट करना। |
आँख का तारा होना | बहुत प्यारा होना। |
आटे में नमक बराबर | बहुत थोड़ी मात्रा में होना। |
आधी छोड़ पूरी को धावे, आधी रहे न पूरी पावे | अधिक पाने की लालच में हाथ में आया हुआ भी खो देना। |
आसमान पर थूकना | अपने ही ऊपर हानि करना। |
आसमान से गिरा, खजूर में अटका | एक मुसीबत से निकल कर दूसरी में फँसना। |
ऊँट के मुँह में जीरा | जरूरत से बहुत कम। |
एक अनार सौ बीमार | साधन कम और चाहने वाले अधिक। |
एक हाथ से ताली नहीं बजती | अकेले कोई काम संभव नहीं। |
ओखली में सिर दिया तो मूसल से क्या डरना | जब मुसीबत मोल ली है तो परिणाम से क्या डरना। |
कंगाली में आटा गीला | मुसीबत में और मुसीबत आना। |
कपड़े फाड़कर भागना | आनन-फानन में भाग जाना। |
कबूतर की तरह आँखें मूँद लेना | समस्या को नज़रअंदाज़ करना। |
करेले पर नीम चढ़ा | दुर्गुण पर और दुर्गुण चढ़ना। |
काँटे से काँटा निकालना | बुराई का जवाब बुराई से देना। |
कागज़ की नाव | अस्थिर वस्तु या संबंध। |
काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती | धोखा बार-बार नहीं चल सकता। |
कान का कच्चा | जल्दी विश्वास करने वाला। |
कान में तेल डालना | अनसुना करना। |
किसी का दिल जीतना | किसी को खुश कर देना। |
कुआँ के पास प्यासा जाना | अपनी जरूरत के लिए सही जगह जाना। |
खरी-खोटी सुनाना | कठोर शब्दों में डाँटना। |
खून का प्यासा | किसी का घोर शत्रु होना। |
खून पसीना एक करना | बहुत मेहनत करना। |
खेल खेल में बात बन गई | आसानी से काम हो जाना। |
खेल में ढेर | आसान समझकर बिगाड़ना। |
गड़े मुर्दे उखाड़ना | पुरानी बातें फिर से उखाड़ना। |
गागर में सागर भरना | थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना। |
गाजर का हलवा | अत्यधिक प्रिय वस्तु। |
गिरगिट की तरह रंग बदलना | स्वभाव बदलना। |
गुड़ गोबर करना | अच्छी चीज को खराब कर देना। |
गोल मोल जवाब देना | स्पष्ट उत्तर नहीं देना। |
घर का भेदी लंका ढाए | अंदरूनी दुश्मन नुकसान पहुँचाता है। |
घर की मुर्गी दाल बराबर | अपनी चीज की कद्र नहीं होती। |
घर फूँक तमाशा देखना | अपना नुकसान कर दूसरों का मनोरंजन करना। |
घोड़े बेचकर सोना | बेफिक्र होकर सोना। |
चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए | बहुत कंजूस होना। |
चाकू घोंपना | विश्वासघात करना। |
चिराग तले अंधेरा | सर्वाधिक निकट की वस्तु या व्यक्ति का अभाव। |
चुपड़ी और दो-दो | दोगुना लाभ मांगना। |
चोर की दाढ़ी में तिनका | दोषी व्यक्ति खुद ही पकड़ा जाता है। |
चोर के घर चोरी | गलत काम करने वाले के साथ गलत होना। |
चोर-चोर मौसेरे भाई | बुरे लोग एक-दूसरे का साथ देते हैं। |
छलका हुआ लोटा | गुप्त बातें बाहर आ जाना। |
जमीन आसमान का फर्क | बहुत बड़ा अंतर। |
जल में रहकर मगर से बैर | अपने शत्रु से विरोध करना। |
जले पर नमक छिड़कना | दुखी व्यक्ति को और दुखी करना। |
जान है तो जहान है | स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण है। |
जी का जंजाल | बहुत बड़ी समस्या। |
जूते का जवाब पत्थर से देना | अत्याचार का कड़ा जवाब देना। |
जेबें गरम करना | रिश्वत लेना। |
जैसी करनी वैसी भरनी | जैसा कर्म, वैसा फल। |
जो काम करे, उसका नाम | काम करने वाले की ही प्रशंसा होती है। |
जो गरजते हैं वो बरसते नहीं | जो अधिक धमकी देते हैं, वे कम काम करते हैं। |
जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है, वह स्वयं उसमें गिरता है | दूसरों के लिए बुरा करने वाला स्वयं मुश्किल में फँसता है। |
ज्यों की त्यों धरी रह गई | जैसा था वैसा ही रह जाना। |
टके सेर भाजी टके सेर खाजा | सब कुछ सस्ता हो जाना। |
टेढ़ी खीर होना | मुश्किल काम होना। |
ठंडी आग | अंदरूनी गुस्सा। |
डूबते को तिनके का सहारा | मुसीबत में थोड़ी सी मदद भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। |
ढाक के तीन पात | वही पुरानी स्थिति बनी रहना। |
तलवे चाटना | चापलूसी करना। |
तीन में ना तेरह में | किसी भी गिनती में ना होना। |
तीर से तीर टकराना | बल से बल का मुकाबला। |
तू डाल-डाल, मैं पात-पात | चतुराई में बराबर होना। |
तेल देखो, तेल की धार देखो | स्थिति का ध्यान रखकर काम करना। |
थोथा चना बाजे घना | अल्प ज्ञान अधिक दिखावा करता है। |
दरियाई घोड़ा | बहुत मोटा व्यक्ति। |
दाल में काला | कुछ गड़बड़ होना। |
दाल में कुछ काला होना | कुछ गड़बड़ होना। |
दिन में तारे दिखना | बहुत ज्यादा परेशान होना। |
देर आए दुरुस्त आए | देर से सही, पर अच्छे से आना। |
धोबी का कुत्ता, घर का ना घाट का | किसी भी स्थान का ना रहना। |
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी | असंभव स्थिति होना। |
नंगा नहाए क्या और निचोड़े क्या | जिसके पास कुछ नहीं वह क्या करेगा। |
नकली हीरा भी चमकता है | नकली चीज भी असली जैसी दिख सकती है। |
नमक-मिर्च लगाना | बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना। |
नाच ना जाने आँगन टेढ़ा | अपनी कमी दूसरों पर डालना। |
नानी याद आना | बहुत कष्ट होना। |
नाव जल में और यात्रा चल में | असंगत स्थिति। |
नेकी कर दरिया में डाल | भलाई कर और उसे भूल जा। |
नौ दिन चले अढ़ाई कोस | काम बहुत धीरे-धीरे करना। |
पगड़ी उछालना | किसी की इज्जत खराब करना। |
पर उपदेश कुशल बहुतेरे | दूसरों को सलाह देना आसान है, पर खुद पर लागू करना मुश्किल। |
पल भर में लाख का सौदा | बहुत जल्दी और अच्छा निर्णय लेना। |
पल में तोला पल में माशा | बहुत जल्दी बदल जाना। |
पल में तोला, पल में माशा | बहुत जल्दी-जल्दी बदलना। |
पलकों पर बैठाना | बहुत प्यार करना। |
पसीना-पसीना होना | बहुत मेहनत करना। |
पहले तोल फिर बोल | सोच समझकर बोलना। |
पांव के नीचे से जमीन खिसकना | आकस्मिक विपत्ति आना। |
पानी पर लकीर खींचना | व्यर्थ प्रयास करना। |
पानी पानी होना | शर्मिंदा होना। |
पानी पीकर उबलना | थोड़ी सी बात पर बहुत गुस्सा होना। |
पानी में आग लगाना | असंभव कार्य करना। |
पानी में मद मारी | अपनी ही गलती से हानि उठाना। |
पानी में रहकर मगर से बैर | अपने आश्रयदाता से विरोध करना। |
पीठ थपथपाना | प्रशंसा करना। |
पीठ दिखाना | पीछे हटना। |
पेड़ पर चढ़ाना | झूठी प्रशंसा करना। |
फूट डालना | मनमुटाव पैदा करना। |
फूलों की क्यारी में रहना | खूबसूरत माहौल में रहना। |
फूलों की तरह महकना | खुशबू फैलाना। |
फूलों की सेज पर चलना | आसान जिंदगी जीना। |
फूलों के हार पहनाना | सम्मानित करना। |
बंदर के हाथ में उस्तरा | अयोग्य व्यक्ति के हाथ में खतरनाक चीज। |
बंदर को नाच नचाना | मूर्ख व्यक्ति को निर्देश देना। |
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद | अज्ञानी व्यक्ति अच्छी चीज की कद्र नहीं जानता। |
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद | मूर्ख व्यक्ति अच्छी चीज की कद्र नहीं जानता। |
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह | बड़े और छोटे दोनों एक से बढ़कर एक। |
बहती गंगा में हाथ धोना | अवसर का लाभ उठाना। |
बांस पर चढ़ाना | अत्यधिक प्रशंसा करना। |
बाड़ ही खेत को खाए | रक्षक ही नुकसान पहुँचाए। |
बिना पंखों के उड़ना | असंभव कार्य करना। |
बिना सोचे-समझे बोलना | अविवेकपूर्ण बातें करना। |
बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुधि ले | अतीत को भूलकर वर्तमान में ध्यान देना। |
बुलावे का इंतजार | किसी के निमंत्रण का प्रतीक्षा करना। |
बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम | उम्र के हिसाब से काम ना करना। |
बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहाँ से होय | जैसा कर्म करेंगे, वैसा फल मिलेगा। |
बोलना चांदी, चुप रहना सोना | समय पर बोलना अच्छा होता है, पर चुप रहना और भी अच्छा। |
बोली से मोल | अच्छी भाषा से मूल्य बढ़ जाता है। |
भीगी बिल्ली बनकर रहना | डरपोक बनकर रहना। |
भीगी बिल्ली बनना | डरपोक होना। |
मंजिल पाना | लक्ष्य प्राप्त करना। |
मक्खन पर लुढ़कना | चापलूसी करना। |
मक्खन लगाना | चापलूसी करना। |
मछली के बिना पानी | अपरिहार्य स्थिति। |
मन की बात कहना | अपनी भावनाएँ प्रकट करना। |
माँग कर खाना | भीख मांगकर जीविका चलाना। |
मिट्टी में मिलाना | पूरी तरह नष्ट कर देना। |
मुँह का निवाला छीनना | किसी की आजीविका छीन लेना। |
मुँह की खाना | हारना। |
मुँह में दही जमाना | चुप रहना। |
मुँह में पानी आना | लालायित होना। |
मुँह में पानी आना | स्वादिष्ट चीज देखकर लालायित होना। |
मुँह में मिठाई डालना | खुश करना। |
मुँह में राम, बगल में छुरी | ऊपर से मित्र, पर भीतर से शत्रु। |
मुख से अमृत बरसना | मधुर वचन बोलना। |
मुख से फूल झड़ना | मधुर वचन बोलना। |
मुट्ठी गर्म करना | रिश्वत देना। |
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया | हार जाने पर भी अहंकार बना रहना। |
लोहा लोहे को काटता है | ताकत से ताकत का मुकाबला। |
साँच को आँच नहीं | सत्य को कोई नुकसान नहीं। |
सांप निकल गया, अब लाठी पीट रहे हैं | समय निकल जाने पर प्रयास करना। |
सोने पे सुहागा | अच्छी चीज पर और भी अच्छी चीज। |
हवा का रुख देखना | स्थिति का अनुमान लगाना। |
हाथ कंगन को आरसी क्या | स्पष्ट चीज के लिए प्रमाण की जरूरत नहीं। |
हाथी के दाँत खाने के और, दिखाने के और | दिखावा कुछ और, वास्तविकता कुछ और। |
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