अपठित गद्यांश

अपठित का शाब्दिक अर्थ है - जो कभी पढ़ा नहीं गया। जो पाठ्यक्रम से जुड़ा नहीं है और जो अचानक ही हमें पढ़ने के लिए दिया गया हो। अपठित गद्यांश में गद्यांश से संबंधित विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा जाता है। इस प्रकार इस विषय में यह अपेक्षा की जाती है कि पाठक दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उससे संबद्ध प्रश्नों के उत्तर उसी अनुच्छेद के आधार पर संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करें। प्रश्नों के उत्तर पाठक को स्वयं अपनी भाषा-शैली में देने होते हैं।


अपठित गद्यांश के द्वारा पाठक की व्यक्तिगत योग्यता तथा अभिव्यक्ति क्षमता का पता लगाया जाता है। अपठित का कोई विशेष क्षेत्र नहीं होता। कला, विज्ञान, राजनीति, साहित्य या अर्थशास्त्र किसी भी विषय पर गद्यांश हो सकता है। ऐसे विषयों के निरंतर अभ्यास और प्रश्नों के उत्तर देने से हमारा मानसिक स्तर उन्नत होता है और हमारी अभिव्यक्ति क्षमता में प्रौढ़ता आती है।


विधि एवं विशेषताएँ

  • प्रस्तुत अवतरण को मन-ही-मन एक-दो बार पढ़ना चाहिए।
  • अनुच्छेद को पुनः पढ़ते समय विशिष्ट स्थलों को रेखांकित करना चाहिए।
  • अपठित के उत्तर देते समय भाषा एकदम सरल, व्यावहारिक और सहज होनी चाहिए। बनावटी या लच्छेदार भाषा का प्रयोग करना एकदम अनुचित होगा।
  • अपठित से संबंधित किसी भी प्रश्न का उत्तर लिखते समय कम-से-कम शब्दों में अपनी बात कहने का प्रयास करना चाहिए।
  • शीर्षक देते समय संक्षिप्तता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है।

  • अपठित गद्यांश के उदाहरण


    अपठित गद्यांश 1.

    प्रकृति ने मनुष्य को अनेक प्रकार के संसाधन प्रदान किए हैं जिनका उपयोग कर मनुष्य अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। प्राचीन काल में लोग प्रकृति पर अधिक निर्भर थे। वे कृषि, पशुपालन और वनोत्पाद पर ही जीवनयापन करते थे। आज विज्ञान और तकनीकी विकास ने मनुष्य के जीवन को सरल और सुविधाजनक बना दिया है। आज के युग में औद्योगिक क्रांति के कारण न केवल कृषि के क्षेत्र में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी मशीनों का उपयोग बढ़ गया है।


    आज मनुष्य का जीवन यंत्रों पर निर्भर हो गया है। मशीनों ने मनुष्य के कार्य को सरल बना दिया है। पहले जहाँ कृषि में केवल हल का प्रयोग होता था, वहीं आज ट्रैक्टर और अन्य यंत्रीकृत उपकरणों का प्रयोग हो रहा है। कारखानों में पहले जहाँ हाथ से काम किया जाता था, वहीं आज मशीनें लगी हैं जो कम समय में अधिक उत्पादन करती हैं।


    मनुष्य ने अपने सुविधा के लिए प्रकृति का दोहन आरंभ कर दिया है। जंगलों की कटाई, जलस्रोतों का दूषित होना और पर्यावरण प्रदूषण इसके कुछ उदाहरण हैं। इस दोहन के परिणामस्वरूप आज पर्यावरण संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम प्रकृति का सही उपयोग करें और उसकी रक्षा करें।


    (क) प्राचीन काल में लोग किस पर अधिक निर्भर थे?
    उत्तर - प्राचीन काल में लोग कृषि, पशुपालन और वनोत्पाद पर अधिक निर्भर थे।

    (ख) औद्योगिक क्रांति ने किन क्षेत्रों में बदलाव लाया है?
    उत्तर - औद्योगिक क्रांति ने कृषि और अन्य क्षेत्रों में मशीनों का उपयोग बढ़ा दिया है।

    (ग) आज मनुष्य का जीवन किस पर निर्भर हो गया है?
    उत्तर - आज मनुष्य का जीवन यंत्रों पर निर्भर हो गया है।

    (घ) पर्यावरण संकट का मुख्य कारण क्या है?
    उत्तर - पर्यावरण संकट का मुख्य कारण प्रकृति का दोहन, जैसे जंगलों की कटाई, जलस्रोतों का दूषित होना और पर्यावरण प्रदूषण है।

    (ङ) 'संसाधन' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - स + न् + सा + ध् + अ + न्।



    अपठित गद्यांश 2.

    पुस्तकें मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती हैं। वे ज्ञान का अथाह भंडार होती हैं और मनुष्य के मस्तिष्क को विस्तृत करने में सहायक होती हैं। प्राचीन काल से ही पुस्तकों का महत्व रहा है। पहले पुस्तकों को ताड़पत्रों, भोजपत्रों आदि पर लिखा जाता था, परंतु आज के युग में पुस्तकों का रूप बहुत बदल गया है। अब ये विभिन्न प्रकार के कागजों पर मुद्रित होती हैं और उनकी छपाई भी बहुत सुंदर और आकर्षक होती है।


    पुस्तकें केवल जानकारी ही नहीं देतीं, बल्कि वे मनोरंजन और मानसिक शांति भी प्रदान करती हैं। बच्चों की कहानियों से लेकर विज्ञान, कला, साहित्य और इतिहास की पुस्तकें तक, हर प्रकार की पुस्तकों का महत्व है। आजकल के डिजिटल युग में भी पुस्तकों का महत्व कम नहीं हुआ है। ई-बुक्स और ऑडियो बुक्स ने पुस्तकों को और अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है।


    पुस्तकों का हमारे जीवन में एक विशेष स्थान है। वे न केवल हमारी सोच को प्रभावित करती हैं, बल्कि हमारे व्यक्तित्व को भी निखारती हैं। पुस्तकें पढ़ने से हम अपने विचारों को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करना सीखते हैं और हमारे ज्ञान का दायरा भी बढ़ता है। इसलिए, पुस्तकों के महत्व को समझते हुए हमें उन्हें अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।


    (क) प्राचीन काल में पुस्तकों को किस पर लिखा जाता था?
    उत्तर - प्राचीन काल में पुस्तकों को ताड़पत्रों और भोजपत्रों पर लिखा जाता था।

    (ख) आजकल पुस्तकों का रूप कैसा हो गया है?
    उत्तर - आजकल पुस्तकों का रूप बहुत बदल गया है। अब ये विभिन्न प्रकार के कागजों पर मुद्रित होती हैं और उनकी छपाई भी बहुत सुंदर और आकर्षक होती है।

    (ग) डिजिटल युग में पुस्तकों का महत्व क्यों बना हुआ है?
    उत्तर - डिजिटल युग में ई-बुक्स और ऑडियो बुक्स ने पुस्तकों को और अधिक सुलभ और सुविधाजनक बना दिया है, इसलिए उनका महत्व बना हुआ है।

    (घ) पुस्तकों का हमारे जीवन में क्या महत्व है?
    उत्तर - पुस्तकों का हमारे जीवन में विशेष स्थान है। वे हमारी सोच को प्रभावित करती हैं, हमारे व्यक्तित्व को निखारती हैं और हमारे ज्ञान का दायरा बढ़ाती हैं।

    (ङ) 'भंडार' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - भ् + अ + ण् + ड् + आ + र्।



    अपठित गद्यांश 3.

    मनुष्य का स्वास्थ्य उसके जीवन का सबसे बड़ा धन है। स्वास्थ्य के बिना जीवन में किसी भी प्रकार का सुख प्राप्त नहीं किया जा सकता। प्राचीन काल में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत जागरूक थे। वे शारीरिक व्यायाम, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा का पालन करते थे। उनका भोजन भी प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होता था। आज के युग में बदलती जीवनशैली और खान-पान की आदतों ने स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।


    आजकल लोग व्यस्त जीवनशैली के कारण अपने स्वास्थ्य का ठीक से ध्यान नहीं रख पाते। फास्ट फूड और जंक फूड का बढ़ता चलन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और तनावपूर्ण जीवनशैली ने स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दिया है। इस कारण से अनेक लोग मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो गए हैं।


    स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है कि हम अपने खान-पान और जीवनशैली पर ध्यान दें। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाने से हम अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। इसके साथ ही हमें समय-समय पर स्वास्थ्य जांच भी करानी चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का समय रहते पता लगाया जा सके और उसका सही उपचार हो सके।


    (क) प्राचीन काल में लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखते थे?
    उत्तर - प्राचीन काल में लोग शारीरिक व्यायाम, योग, और प्राकृतिक चिकित्सा का पालन करते थे और उनका भोजन भी प्राकृतिक और स्वास्थ्यवर्धक होता था।

    (ख) आज के युग में स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव किस कारण पड़ा है?
    उत्तर - बदलती जीवनशैली, फास्ट फूड और जंक फूड का बढ़ता चलन, शारीरिक गतिविधियों की कमी, और तनावपूर्ण जीवनशैली ने स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

    (ग) स्वस्थ जीवन के लिए क्या आवश्यक है?
    उत्तर - स्वस्थ जीवन के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाना आवश्यक है।

    (घ) स्वास्थ्य जांच क्यों आवश्यक है?
    उत्तर - स्वास्थ्य जांच से किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का समय रहते पता लगाया जा सकता है और उसका सही उपचार हो सकता है।

    (ङ) 'स्वास्थ्यवर्धक' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - स् + वा + स् + थ् + य + व् + अ + र् + ध् + अ + क्।



    अपठित गद्यांश 5.

    जल हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। यह न केवल हमारी प्यास बुझाता है, बल्कि विभिन्न घरेलू, कृषि और औद्योगिक कार्यों के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। प्राचीन काल में जल का स्रोत मुख्य रूप से नदियाँ, तालाब और कुओं होते थे। लोग जल को संजोकर रखते थे और जल का दुरुपयोग नहीं करते थे।


    आज के युग में जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकरण के कारण जल की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। इसके साथ ही जल प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बन गई है। नदियों और झीलों में कारखानों से निकलने वाले रसायन और कचरा मिल जाने के कारण जल की गुणवत्ता में गिरावट आई है। इसके अतिरिक्त, अति उपयोग और बर्बादी के कारण भूजल स्तर भी तेजी से घट रहा है।


    जल संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बन गई है। हमें जल का सही उपयोग करना चाहिए और उसे बर्बाद होने से बचाना चाहिए। इसके लिए हमें वर्षा जल संचयन, पुनः उपयोग और पुनः चक्रण (रिसाइकलिंग) जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए। जल को दूषित होने से बचाने के लिए कारखानों को अपने कचरे को उचित तरीके से निस्तारित करना चाहिए और रसायनों के उपयोग को कम करना चाहिए।

    (क) प्राचीन काल में जल के स्रोत क्या थे?
    उत्तर - प्राचीन काल में जल के स्रोत मुख्य रूप से नदियाँ, तालाब और कुएँ होते थे।

    (ख) आज के युग में जल की मांग में वृद्धि का क्या कारण है?
    उत्तर - आज के युग में जनसंख्या वृद्धि और औद्योगिकरण के कारण जल की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है।

    (ग) जल प्रदूषण के क्या कारण हैं?
    उत्तर - जल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं नदियों और झीलों में कारखानों से निकलने वाले रसायन और कचरे का मिल जाना।

    (घ) जल संरक्षण के लिए हमें क्या उपाय अपनाने चाहिए?
    उत्तर - जल संरक्षण के लिए हमें वर्षा जल संचयन, पुनः उपयोग और पुनः चक्रण (रिसाइकलिंग) जैसी तकनीकों को अपनाना चाहिए।

    (ङ) 'संरक्षण' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - स + ं + र + क्ष् + अ + ण्।



    अपठित गद्यांश 6.

    हमारे जीवन में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल ज्ञान का साधन है, बल्कि व्यक्तित्व के विकास का भी महत्वपूर्ण स्तंभ है। प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती थी, जहाँ विद्यार्थी अपने गुरुओं के सान्निध्य में रहकर विद्या प्राप्त करते थे। गुरुकुल में शिक्षा का वातावरण शांति और एकाग्रता से परिपूर्ण होता था।


    आज के युग में शिक्षा प्रणाली में बहुत बदलाव आ गया है। अब शिक्षा विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दी जाती है। तकनीकी विकास के कारण शिक्षा के साधन भी बदल गए हैं। अब कंप्यूटर, इंटरनेट और ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना संभव हो गया है। इससे शिक्षा अधिक सुलभ और व्यापक हो गई है।


    शिक्षा केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है। यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास का साधन भी है। शिक्षा हमें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी सशक्त बनाती है। इसलिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति को अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। इसके लिए समाज और सरकार को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

    (क) प्राचीन काल में शिक्षा कैसे दी जाती थी?
    उत्तर - प्राचीन काल में शिक्षा गुरुकुलों में दी जाती थी, जहाँ विद्यार्थी अपने गुरुओं के सान्निध्य में रहकर विद्या प्राप्त करते थे।

    (ख) आज के युग में शिक्षा प्रणाली में क्या बदलाव आए हैं?
    उत्तर - आज के युग में शिक्षा विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दी जाती है। तकनीकी विकास के कारण शिक्षा के साधन भी बदल गए हैं, जैसे कंप्यूटर, इंटरनेट और ऑनलाइन कक्षाओं का उपयोग।

    (ग) शिक्षा का क्या महत्व है?
    उत्तर - शिक्षा का महत्व केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं है, यह व्यक्ति के मानसिक, शारीरिक और नैतिक विकास का साधन भी है। यह हमें सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी सशक्त बनाती है।

    (घ) शिक्षा प्राप्ति के लिए क्या आवश्यक है?
    उत्तर - शिक्षा प्राप्ति के लिए यह आवश्यक है कि हर व्यक्ति को अच्छी और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले। इसके लिए समाज और सरकार को मिलकर प्रयास करना चाहिए।

    (ङ) 'व्यक्तित्व' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - व् + य + क् + ति + त् + व।



    अपठित गद्यांश 7.

    स्वच्छता हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है और एक स्वस्थ और समृद्ध समाज के लिए आवश्यक है। प्राचीन काल में लोग स्वच्छता को बहुत महत्व देते थे। उन्हें यह मान्यता थी कि स्वच्छता धार्मिकता का प्रतीक है। वे नदियों में स्नान करते और नदियों के किनारे पर साफ-सफाई का ध्यान रखते थे।


    लेकिन आज के समय में हम स्वच्छता को अनदेखा करते हुए अपने आसपास के पर्यावरण को बिगाड़ते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या, अत्यधिक उपयोग और प्लास्टिक का उपयोग स्वच्छता में बड़ी समस्या बन रहे हैं।


    स्वच्छता को बचाने के लिए हमें समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है। स्वच्छता के महत्व को समझने के लिए शिक्षा महत्वपूर्ण है। साथ ही, सरकार को भी स्वच्छता को प्रोत्साहित करने के लिए कड़ी कड़ी नीतियों को लागू करना चाहिए।

    (क) प्राचीन काल में स्वच्छता का महत्व क्या था?
    उत्तर - प्राचीन काल में स्वच्छता को धार्मिकता का प्रतीक माना जाता था और लोग इसे बहुत महत्व देते थे।

    (ख) आज के समय में स्वच्छता को कैसे अनदेखा किया जा रहा है?
    उत्तर - आज के समय में बढ़ती जनसंख्या, अत्यधिक उपयोग और प्लास्टिक का उपयोग स्वच्छता में बड़ी समस्या बन रहे हैं।

    (ग) स्वच्छता को बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
    उत्तर - स्वच्छता को बचाने के लिए हमें समाज के सभी वर्गों को जागरूक करने की आवश्यकता है और सरकार को भी कड़ी कड़ी नीतियों को लागू करना चाहिए।

    (घ) 'स्वास्थ्य' शब्द का वर्ण-विच्छेद कीजिए।
    उत्तर - स + व् + आ + स्थ् + य + ।


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