उपसर्ग : वह शब्दांश या अक्षर होते हैं जो किसी मूल शब्द के प्रारंभ में जोड़कर उसका नया अर्थ निर्मित करते हैं। उपसर्ग के जुड़ने से शब्द का अर्थ बदल जाता है, जिससे भाषा में विविधता और संप्रेषण में स्पष्टता आती है।
हिंदी में उपसर्ग मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:-
हिंदी के उपसर्ग
संस्कृत के उपसर्ग
हिन्दी भाषा में 13 प्रमुख उपसर्ग होते हैं। ये उपसर्ग विभिन्न मूल शब्दों के साथ मिलकर नए शब्दों का निर्माण करते हैं, जिनसे अर्थ में परिवर्तन आता है। इन उपसर्गों की पहचान और प्रयोग से भाषा को अधिक स्पष्ट और सटीक बनाया जा सकता है।
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
---|---|---|
अ | नहीं, बिना | अनुचित, असत्य |
अन | बिना, नहीं | अनपढ़, अनियमित |
अति | अत्यधिक, बहुत | अतिशयोक्ति, अतिथि |
अधि | ऊपर, अधिक | अध्यक्ष, अधिकार |
अप | नीचे, दूर, बुरा | अपमान, अपव्यय |
अभि | सामने, प्रति | अभिनव, अभिलाषा |
आ | पास, निकट | आगमन, आधार |
उद | ऊपर, निकलना | उद्घाटन, उदाहरण |
उप | पास, निकट | उपकार, उपयोग |
नि | बाहर, दूर | निष्कर्ष, निराधार |
परि | चारों ओर, पूरा | परिक्रमा, परिस्थिति |
प्र | आगे, पहले | प्रकाश, प्रवेश |
सु | अच्छा, श्रेष्ठ | सुगम, सुमन |
हिन्दी में उपसर्गों को मुख्यतः तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है:
तत्सम उपसर्ग
तद्भव उपसर्ग
आगत उपसर्ग
1. तत्सम उपसर्ग
तत्सम उपसर्ग वे उपसर्ग हैं जो संस्कृत भाषा से सीधे तौर पर हिन्दी में आए हैं और बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में प्रयोग किए जाते हैं। इन उपसर्गों का प्रयोग अधिकतर शुद्ध और पारंपरिक शब्दों में होता है।
उदाहरण:
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
---|---|---|
अति- | अत्यधिक, बहुत | अतिशय, अतुलनीय |
अधि- | ऊपर, अधिक | अधिकार, अधिकारी |
वि- | विशेष, अलग | विशिष्ट, विविध |
2. तद्भव उपसर्ग
तद्भव उपसर्ग वे उपसर्ग हैं जो संस्कृत से हिन्दी में आकर कुछ परिवर्तन के साथ प्रयोग होते हैं। ये उपसर्ग सामान्य बोलचाल की भाषा में अधिक उपयोग में लाए जाते हैं।
उदाहरण:
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
---|---|---|
अन | बिना, नहीं | अनपढ़, अनदेखा |
अ | नहीं, बिना | असत्य, अशिक्षित |
बिना |
बिना | बिना सोचे, बिना पढ़े |
3. आगत उपसर्ग
आगत उपसर्ग वे उपसर्ग हैं जो अन्य भाषाओं से हिन्दी में आए हैं और हिन्दी भाषा में अपनाए गए हैं। ये उपसर्ग सामान्यत: विदेशी भाषाओं, विशेषकर फारसी, अरबी, और उर्दू से आए होते हैं।
उदाहरण:
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
---|---|---|
ना- | नहीं, बिना | नामंजूर, नालायक |
बद- | बुरा | बदनाम, बदनसीब |
दर- | अंदर, बीच में | दरवाजा, दरम्यान |
संस्कृत भाषा में 22 प्रमुख उपसर्ग होते हैं, जो विभिन्न शब्दों के साथ मिलकर उनका अर्थ परिवर्तित करते हैं और नए शब्दों का निर्माण करते हैं। ये उपसर्ग भाषा को अधिक समृद्ध और व्यापक बनाने में मदद करते हैं।
यहाँ कुछ उपसर्गों के संस्कृत में प्रयोग के उदाहरण दिए गए हैं:
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण |
---|---|---|
अ | नहीं | अभयं , अकर्मकं |
अधि | ऊपर, अधिक | अधिष्ठातृ , अधिपतिः |
अनु | पीछे, अनुसरण | अनुशासनं , अनुकूलं |
अप | बिना, अपकरण | अपकृष्टं , अपयात्रं |
अभि | सामने, प्रति | अभिवादनं ,अभिधानं |
अव- | ऊपर, अवधारण | अवगम्यं ,अवस्थानं |
उत्- | बाहर, उत्तर | उत्पत्तिः , उत्तरं |
उप | पास, सहायक | उपयुक्तं , उपकरणं |
उद् | ऊपर, प्रेरणा | उद्घाटनं , उद्यानं |
उल्लंघ् | अतिक्रमण | उल्लंघनं |
कल् | कृति, कर्म, काल | कल्पना , कल्पतरुं |
क्रम् | क्रम, क्रमण, क्रमस्थल | क्रमशः , क्रमणं |
गुरु | गुरु, गुरुत्व, गुरुस्थान | गुरुवाद , गुरुकुलं |
तट् | तट, तटस्थ, तटाक | तटजं , तटस्थं |
दुर् | दूर, दुर्गम, दुरावस्था | दुरात्मा , दुराराध्य |
नि | नि:स्था, निश्चय, निष्कर्ष | निर्णयं, निष्कर्षः |
नि-च् | निच्छाया, निच्छावृत्ति, निच्छेदन | निच्छाया , निच्छावृत्ति |
निर् | निर्वाचन, निराकरण, निर्गमन | निर्वाचनं , निर्ण |
हिन्दी में प्रमुख रूप से प्रयोग होने वाले अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग की संख्या 19 है। अरबी, उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग उदाहरण अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-
उपसर्ग | अर्थ | उदाहरण | |
---|---|---|---|
अल | निश्चित | अलबत्ता, अलगरज | |
कम- | थोड़ा, हीन | कमज़ोर, कमबख़्त, कमअक्ल | |
खुश- | अच्छा | खुशनसीब, खुशखबरी, खुशहाल, खुशबू | |
गैर- | निषेध | गैरहाज़िर, गैरक़ानूनी, गैरमुल्क, गैरज़िम्मेदार | |
दर | में | दरअसल, दरहकीकत | |
ना- | अभाव | नापसंद, नासमझ, नाराज़, नालायक | |
फिल | में | फिलहाल | |
फी | प्रति | फ़ीआदमी | |
ब- | और, अनुसार | बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर | |
बद- | बुरा | बदमाश, बदनाम, बदक़िस्मत, बदबू | |
बर- | ऊपर, पर, बाहर | दरदाश्त, बरखास्त | |
बा- | सहित | बाकायदा, बाइज्ज़त, बाअदब, बामौका | |
बे- | बिना | बेईमान, बेइज्ज़त, बेचारा, बेवकूफ़ | |
बिल- | के साथ | बिलआखिर, बिल्कुल | |
बिला- | बिना | बिलाबजह, बिलाशक | |
ला- | रहित | लापरवाह, लाचार, लावारिस, लाजवाब | |
सर- | मुख्य | सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार | |
हम | समान, साथवाला | हमदर्दी, हमराह, हमउम्र, हमदम | |
हर- | प्रत्येक | हरदिन, हरसाल, हरएक, हरबार |
हिन्दी में मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले अंग्रेज़ी के उपसर्गों की संख्या 6 है- सब, डिप्टी, वाइस, जनरल, चीफ़ और हेड। अंग्रेज़ी के उपसर्ग उदाहरण अर्थ सहित निम्नलिखित हैं-
उपसर्ग | उपसर्ग का अर्थ | उपसर्ग का उदाहरण |
---|---|---|
सब | अधीन, नीचे | सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर |
डिप्टी | सहायक | डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-मिनिस्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, |
वाइस | सहायक | वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-प्रेसीडेंट |
जनरल | प्रधान | जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी |
चीफ़ | प्रमुख | चीफ मिनिस्टर, चीफ इंजीनियर, चीफ सेक्रेटरी |
हेड | मुख्य | हेडमास्टर, हेड क्लर्क |
संस्कृत के अव्यय शब्द जो उपसर्ग के समान प्रयुक्त होते हैं, उनका वर्णन उदाहरण सहित निम्नलिखित है-
उपसर्ग | उपसर्ग का अर्थ | उपसर्ग का उदाहरण |
---|---|---|
अधः | नीचे | अधःपतन, अधोगति, अधोमुखी, अधोलिखित |
अंतः | भीतरी | अंतःकरण, अंतःपुर, अंतर्मन, अंतर्देशीय |
अ | अभाव | अशोक, अकाल, अनीति |
चिर | बहुत देर | चिरंजीवी, चिरकुमार, चिरकाल, चिरायु |
पुनर् | फिर | पुनर्जन्म, पुनर्लेखन, पुनर्जीवन |
बहिर् | बाहर | बहिर्गमन, बहिर्जगत् |
सत् | सच्चा | सज्जन, सत्कर्म, सदाचार, सत्कार्य |
पुरा | पुरातन | पुरातत्व, पुरावृत्त |
सम | समान | समकालीन, समदर्शी, समकोण, समकालिक |
सह | साथ | सहकार, सहपाठी, सहयोगी, सहचर |
किसी प्रकार का उत्पात– वह पदार्थ जो कोई पदार्थ बनाते समय बीच में संयोगवश बन जाता या निकल आता है (बाई प्राडक्ट)। जैसे-गुड़ बनाते समय जो शीरा निकलता है, वह गुड़ का उपसर्ग है।
बुरा लक्षण या अपशगुन, उपद्रव या विघ्न– योगियों की योगसाधना के बीच होनेवाले विघ्न को उपसर्ग कहते हैं।
मुनियों पर होने वाले उक्त उपसर्गों के विस्तृत विवरण मिलते हैं। जैन साहित्य में विशेष रूप से इनका उल्लेख रहता है क्योंकि जैन धर्म के अनुसार साधना करते समय उपसर्गो का होना अनिवार्य है और केवल वे ही व्यक्ति अपनी साधना में सफल हो सकते हैं जो उक्त सभी उपसर्गों को अविचलित रहकर झेल लें। हिंदू धर्मकथाओं में भी साधना करने वाले व्यक्तियों को अनेक विघ्नबाधाओं का सामना करना पड़ता है किंतु वहाँ उन्हें उपसर्ग की संज्ञा यदाकदा ही गई है।
उपसर्ग के सही प्रयोग से शब्दों के अर्थ में बदलाव और स्पष्टता आती है। उपसर्ग के प्रयोग से नए शब्द बनते हैं जो भाषा को समृद्ध करते हैं।
उपसर्ग की पहचान करना एक महत्वपूर्ण व्याकरणिक कौशल है। उपसर्ग मूल शब्द के पहले जुड़कर शब्द का नया अर्थ बनाता है। उपसर्ग की पहचान के लिए कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. उपसर्ग की परिभाषा
उपसर्ग वह शब्दांश है जो किसी मूल शब्द के पहले जुड़कर नए शब्द का निर्माण करता है और मूल शब्द के अर्थ में बदलाव लाता है।
2. उपसर्ग की पहचान करने के तरीके
शब्द के पहले भाग की पहचान: उपसर्ग हमेशा शब्द के पहले भाग में जुड़ता है। इसलिए, किसी शब्द का पहला भाग देखें और समझें कि क्या वह उपसर्ग हो सकता है।
अर्थ का परिवर्तन: उपसर्ग जोड़ने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन होता है। यदि शब्द के अर्थ में बदलाव आ रहा है, तो संभवतः वह उपसर्ग है।
मूल शब्द को पहचानें:किसी शब्द के मूल रूप को पहचानें और देखें कि क्या उसके पहले कोई उपसर्ग जुड़ा हुआ है।
संस्कृत और हिंदी उपसर्ग की सूची: उपसर्ग की पहचान करने के लिए संस्कृत और हिंदी में प्रयोग होने वाले उपसर्गों की सूची की जानकारी होनी चाहिए।
4. उपसर्ग से नए शब्दों का निर्माण
उपसर्ग जोड़ने से नए शब्द बनते हैं जो भाषा को समृद्ध बनाते हैं। उपसर्ग का प्रयोग विभिन्न प्रकार के नए शब्दों का निर्माण करने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
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