क्रिया - परिभाषा, भेद, और उदाहरण

क्रिया: क्रिया वह शब्द है जो वाक्य में किसी कार्य, घटना या अवस्था का बोध कराता है। क्रिया वाक्य का महत्वपूर्ण भाग होती है और इसके बिना वाक्य का कोई मतलब नहीं होता। यह बताती है कि क्या हो रहा है, क्या किया जा रहा है, या किसी स्थिति में क्या हो रहा है।

क्रिया की परिभाषा: "क्रिया वह शब्द है जो किसी कार्य, घटना या स्थिति का बोध कराता है।" उसे क्रिया कहते हैं। 


उदाहरण-
इन वाक्यों में 'दौड़ रहा है', 'बना रही है', 'जा रहे हैं', और 'उड़ रहे हैं' क्रियाएं हैं जो क्रमशः दौड़ने, बनाने, जाने, और उड़ने की क्रिया का बोध कराती हैं।

धातु के भेद:


हिंदी व्याकरण में धातु का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह क्रिया का मूल रूप होता है। धातु के आधार पर ही विभिन्न क्रियाओं का निर्माण होता है। धातु मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं: मूल धातु और यौगिक धातु। नीचे इन दोनों भेदों के बारे में विस्तार से समझाया गया है।

1. मूल धातु (Primary Root): मूल धातु वह धातु होती है जो स्वतंत्र रूप से उपयोग की जाती है और इसे बनाने के लिए किसी अन्य शब्द की आवश्यकता नहीं होती। यह सबसे सरल रूप होती है और इससे सीधे-सीधे क्रिया का निर्माण होता है।

उदाहरण-
इन उदाहरणों में "चल," "पढ़," "देख," और "लिख" मूल धातुएँ हैं जो सीधे क्रियाओं का निर्माण करती हैं।

2. यौगिक धातु (Compound Root):

यौगिक धातु वह धातु होती है जो दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर बनाई जाती है। यौगिक धातुएं विभिन्न प्रकार से बनाई जा सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

(i) पद-पद योग (Word-Word Combination): जब दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर क्रिया बनाई जाती है, तो उसे पद-पद योग कहते हैं।

उदाहरण-
इन उदाहरणों में "गाना-बजाना," "चलना-फिरना," और "हँसना-रोना" पद-पद योग द्वारा बनाई गई यौगिक धातुएं हैं।

(ii) प्रत्यय-योग (Suffix Combination): जब किसी धातु में प्रत्यय (suffix) जोड़कर क्रिया बनाई जाती है, तो उसे प्रत्यय-योग कहते हैं।

उदाहरण-
इन उदाहरणों में "बोलना," "चलाना," और "खिलाना" प्रत्यय-योग द्वारा बनाई गई यौगिक धातुएं हैं।

(iii) समास-योग (Compound Combination): जब दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर, उनमें से किसी एक शब्द का लोप करके क्रिया बनाई जाती है, तो उसे समास-योग कहते हैं।
उदाहरण-

इन उदाहरणों में "चलना," "उड़ना," और "पढ़ना" समास-योग द्वारा बनाई गई यौगिक धातुएं हैं।

यौगिक धातु के अन्य प्रकार

(i) प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb): प्रेरणार्थक क्रिया वह क्रिया होती है जो किसी को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। यह क्रिया यह दर्शाती है कि कर्ता किसी अन्य व्यक्ति को किसी कार्य के लिए प्रेरित कर रहा है।

उदाहरण-
इन उदाहरणों में "सिखाना," "बिठाना," और "जगाना" प्रेरणार्थक क्रियाएं हैं जो किसी को कार्य करने के लिए प्रेरित करती हैं।

(ii) नाम धातु (Nominal Verb): नाम धातु वह क्रिया होती है जो किसी संज्ञा या विशेषण से बनाई जाती है। यह क्रिया संज्ञा या विशेषण के आधार पर बनती है और उसी से संबंधित कार्य को दर्शाती है।
उदाहरण-

इन उदाहरणों में "गाना," "पानी देना," और "बात करना" नाम धातुएं हैं जो संज्ञा या विशेषण से बनी हैं।

धातुओं का महत्व:

क्रिया का मूल रूप: धातु क्रिया का मूल रूप होता है और इससे ही क्रिया के विभिन्न रूप बनते हैं।
क्रियाओं का निर्माण: धातु से ही क्रियाओं का निर्माण होता है और इससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है।
भाषा का विकास: धातुओं के ज्ञान से भाषा का सही प्रयोग और विकास संभव होता है।

क्रिया के भेद

क्रिया के मुख्य रूप से तीन भेद होते हैं-

  1. कर्म के आधार पर
  2. काल के आधार पर
  3. वाच्य के आधार पर

 
कर्म के आधार पर क्रियाएं-

सकर्मक क्रिया (Transitive Verb): सकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसमें क्रिया का कार्य किसी वस्तु या व्यक्ति पर होता है, जिसे कर्म कहा जाता है। सकर्मक क्रिया में कार्य के निष्पादन के लिए किसी कर्म की आवश्यकता होती है। इस प्रकार की क्रिया में क्रिया का परिणाम स्पष्ट रूप से किसी न किसी पर पड़ता है, यानी कर्म पर।
उदाहरण-
इन वाक्यों में, "पुस्तक," "खाना," और "चिट्ठी" क्रमशः क्रियाओं "पढ़ रहा है," "बना रही है," और "लिखी" के कर्म हैं। ये सभी वाक्य सकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं क्योंकि इन क्रियाओं का कार्य किसी न किसी वस्तु या व्यक्ति पर हो रहा है।

अकर्मक क्रिया (Intransitive Verb): अकर्मक क्रिया वह क्रिया होती है जिसमें क्रिया का कार्य किसी वस्तु या व्यक्ति पर नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, यह क्रिया कर्म के बिना ही पूरी होती है। अकर्मक क्रिया में केवल कर्ता का ही उल्लेख होता है, और कोई कर्म नहीं होता।
उदाहरण-

इन वाक्यों में, "रो रही है," "उड़ रहे हैं," और "सो रहा है" क्रमशः अकर्मक क्रियाएं हैं क्योंकि इन क्रियाओं का कार्य किसी वस्तु या व्यक्ति पर नहीं हो रहा है। ये सभी वाक्य अकर्मक क्रिया के उदाहरण हैं क्योंकि इनमें केवल कर्ता का ही उल्लेख है और कोई कर्म नहीं है।

सकर्मक क्रिया में क्रिया का कार्य किसी वस्तु या व्यक्ति पर होता है, जबकि अकर्मक क्रिया में क्रिया का कार्य किसी वस्तु या व्यक्ति पर नहीं होता है। सकर्मक क्रिया के लिए एक कर्म की आवश्यकता होती है, जबकि अकर्मक क्रिया के लिए नहीं होती है। 

काल के आधार पर क्रियाएं-

क्रिया के समय की दृष्टि से तीन मुख्य प्रकार होते हैं: वर्तमान काल, भूतकाल, और भविष्यकाल। प्रत्येक काल का उपयोग क्रिया के समय के आधार पर किया जाता है।

1. वर्तमान काल (Present Tense): वर्तमान काल की क्रिया वह होती है जो वर्तमान समय में हो रही होती है। यह क्रिया वर्तमान समय में घटित हो रही घटना या कार्य को दर्शाती है। यह समय के उस पल को दिखाती है जब क्रिया की जा रही है या हो रही है।उदाहरण-

इन वाक्यों में "खा रहा हूँ," "पढ़ाई कर रहा है," और "खेल रहे हैं" वर्तमान काल की क्रियाएं हैं क्योंकि ये सभी कार्य वर्तमान समय में हो रहे हैं।

2. भूतकाल (Past Tense): भूतकाल की क्रिया वह होती है जो पहले हो चुकी है। यह क्रिया उस घटना या कार्य को दर्शाती है जो पहले संपन्न हो चुकी है। यह समय के उस पल को दिखाती है जब क्रिया पूरी हो चुकी थी।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "गए थे," "किया था," और "सुनाई थी" भूतकाल की क्रियाएं हैं क्योंकि ये सभी कार्य पहले हो चुके हैं।

3. भविष्यकाल (Future Tense): भविष्यकाल की क्रिया वह होती है जो भविष्य में होगी। यह क्रिया उस घटना या कार्य को दर्शाती है जो आने वाले समय में संपन्न होगी। यह समय के उस पल को दिखाती है जब क्रिया भविष्य में घटित होगी।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "जाऊंगा," "देगा," और "जाएंगे" भविष्यकाल की क्रियाएं हैं क्योंकि ये सभी कार्य भविष्य में होने वाले हैं।

क्रियाओं को उनके समय के आधार पर तीन कालों में विभाजित किया जाता है: वर्तमान काल, जो क्रिया वर्तमान समय में हो रही है; भूतकाल, जो क्रिया पहले हो चुकी है; और भविष्यकाल, जो क्रिया भविष्य में होगी। इन कालों का उपयोग करके हम क्रिया के समय को स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकते हैं।


वाच्य के आधार पर क्रियाएं-

वाच्य के आधार पर वाक्यों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है: कर्मवाच्य, कर्तृवाच्य, और भाववाच्य। वाच्य का तात्पर्य वाक्य में किस तत्व को प्रमुखता दी गई है, उससे है।

1. कर्मवाच्य (Passive Voice): 
कर्मवाच्य वह वाक्य होता है जिसमें कर्म पर अधिक महत्व दिया जाता है। इस वाक्य में कार्य का परिणाम, यानी क्रिया का प्रभाव, कर्म पर होता है। इसमें कार्य करने वाले कर्ता का सीधा उल्लेख नहीं होता या होता है, तो वह गौण होता है। यह वाक्य उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें कर्म मुख्य होता है और कर्ता अप्रत्यक्ष रूप से होता है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "लिखी गई है," "खाया गया," और "पढ़ी गई" क्रियाएं कर्मवाच्य हैं क्योंकि इनमें कार्य का मुख्य प्रभाव कर्म पर है।

2. कर्तृवाच्य (Active Voice): कर्तृवाच्य वह वाक्य होता है जिसमें कर्ता पर अधिक महत्व दिया जाता है। इस वाक्य में कार्य करने वाला व्यक्ति या वस्तु, यानी कर्ता, प्रमुख होता है और क्रिया उसके द्वारा संपन्न होती है। यह वाक्य उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें कर्ता मुख्य होता है और कार्य उसके द्वारा किया जा रहा होता है।
उदाहरण-

इन वाक्यों में "लिखी," "बनाया," और "पढ़ी" क्रियाएं कर्तृवाच्य हैं क्योंकि इनमें कार्य का मुख्य प्रभाव कर्ता पर है और कर्ता कार्य को कर रहा है।

3. भाववाच्य (Impersonal Voice): भाववाच्य वह वाक्य होता है जिसमें भाव या स्थिति पर अधिक महत्व दिया जाता है। इस वाक्य में कर्ता और कर्म दोनों का सीधा उल्लेख नहीं होता बल्कि क्रिया के माध्यम से भाव या स्थिति का बोध होता है। यह वाक्य उस स्थिति को दर्शाता है जिसमें भाव मुख्य होता है और कर्ता और कर्म गौण होते हैं।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "भूख लग रही है," "नींद आ रही है," और "ठंड लग रही है" क्रियाएं भाववाच्य हैं क्योंकि इनमें मुख्यता भाव या स्थिति पर है और कर्ता या कर्म गौण हैं।

वाच्य के आधार पर वाक्यों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है: कर्मवाच्य, जिसमें कर्म प्रमुख होता है; कर्तृवाच्य, जिसमें कर्ता प्रमुख होता है; और भाववाच्य, जिसमें भाव या स्थिति प्रमुख होती है। इन वाच्यों का उपयोग करके हम वाक्य में किस तत्व को अधिक महत्व देना है, यह निर्धारित कर सकते हैं।


क्रिया के रूप


क्रिया के कई रूप होते हैं जो विभिन्न प्रयोजनों और संदर्भों के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन रूपों का उपयोग क्रिया की स्थिति, काल, और प्रकार को स्पष्ट करने के लिए किया जाता है। क्रिया के प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं:

1. मूल रूप (Root Form): मूल रूप क्रिया का सबसे सरल और आधारभूत रूप होता है, जिसमें कोई प्रत्यय नहीं होता है। यह रूप क्रिया के मूल अर्थ को दर्शाता है और यह किसी भी परिवर्तन या संशोधन के बिना होता है।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़," "लिख," और "खा" क्रियाओं के मूल रूप हैं जो बिना किसी प्रत्यय के अपनी सरलतम स्थिति में हैं।

2. सामान्य रूप (Infinitive Form): सामान्य रूप क्रिया का वह रूप होता है जो मूल रूप में "ना" प्रत्यय जोड़कर बनता है। यह रूप क्रिया के सामान्य और स्थायी रूप को दर्शाता है और अक्सर इसका उपयोग क्रिया के अनिर्धारित या सामान्य रूप में किया जाता है।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़ना," "लिखना," और "खाना" सामान्य रूप की क्रियाएं हैं जो क्रिया के अनिर्धारित या सामान्य रूप को दर्शाती हैं।

3. विशेषण रूप (Adjectival Form): विशेषण रूप क्रिया का वह रूप होता है जो क्रिया में "ता" या "ना" प्रत्यय जोड़कर बनता है। यह रूप क्रिया को विशेषण के रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे यह किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थिति की विशेषता को दर्शाता है।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़ने योग्य," "लिखने लायक," और "खाने योग्य" विशेषण रूप की क्रियाएं हैं जो किसी कार्य की क्षमता या योग्यता को दर्शाती हैं।

4. अव्यय रूप (Adverbial Form):

अव्यय रूप क्रिया का वह रूप होता है जो क्रिया में "कर" या "करके" प्रत्यय जोड़कर बनता है। यह रूप क्रिया को अव्यय के रूप में प्रस्तुत करता है, जिससे यह कार्य के प्रकार, समय, स्थान, या स्थिति को दर्शाता है।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़कर," "लिखकर," और "खाकर" अव्यय रूप की क्रियाएं हैं जो कार्य के प्रकार, समय, या स्थिति को दर्शाती हैं।

क्रिया के विभिन्न रूप उनके उपयोग और संदर्भ के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं। मूल रूप क्रिया का सबसे सरल और आधारभूत रूप होता है, जबकि सामान्य रूप क्रिया के अनिर्धारित या सामान्य रूप को दर्शाता है। विशेषण रूप क्रिया को विशेषण के रूप में प्रस्तुत करता है, और अव्यय रूप क्रिया को अव्यय के रूप में प्रस्तुत करता है। इन रूपों का उपयोग करके हम क्रिया की स्थिति, काल, और प्रकार को स्पष्ट कर सकते हैं।


क्रिया के प्रयोग


क्रिया का प्रयोग वाक्य में विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जो वाक्य की संरचना और अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक होता है। क्रिया के प्रयोग के प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं:

1. मुख्य क्रिया (Main Verb):

मुख्य क्रिया वह क्रिया होती है जो वाक्य का मुख्य अर्थ प्रदान करती है। यह क्रिया वाक्य का केंद्रीय तत्व होती है और इसके बिना वाक्य का अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता। मुख्य क्रिया वाक्य के कर्ता द्वारा किए जा रहे मुख्य कार्य को दर्शाती है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़ रहा है," "बना रही है," और "खेल रहा है" मुख्य क्रियाएं हैं जो वाक्य के मुख्य अर्थ को स्पष्ट कर रही हैं।

2. सहायक क्रिया (Auxiliary Verb):

सहायक क्रिया वह क्रिया होती है जो मुख्य क्रिया को बनाने में सहायता करती है। यह क्रिया मुख्य क्रिया के साथ मिलकर वाक्य को समय, प्रकार, या स्थिति के अनुसार स्पष्ट करती है। सहायक क्रिया वाक्य में मुख्य क्रिया के साथ प्रयोग होकर उसके अर्थ को पूर्णता प्रदान करती है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "है," "रहा है," और "चुके हैं" सहायक क्रियाएं हैं जो मुख्य क्रिया के साथ मिलकर वाक्य का अर्थ स्पष्ट कर रही हैं।

3. पूर्वकालिक क्रिया (Preceding Action Verb):

पूर्वकालिक क्रिया वह क्रिया होती है जो मुख्य क्रिया के पहले होती है। यह क्रिया उस कार्य को दर्शाती है जो मुख्य क्रिया से पहले संपन्न हुआ हो। पूर्वकालिक क्रिया वाक्य में क्रियाओं के क्रम को स्पष्ट करती है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "खाना खाकर," "पत्र लिखकर," और "नाश्ता करके" पूर्वकालिक क्रियाएं हैं जो मुख्य क्रिया से पहले हुई क्रियाओं को दर्शाती हैं।

4. उत्तरकालिक क्रिया (Subsequent Action Verb):

उत्तरकालिक क्रिया वह क्रिया होती है जो मुख्य क्रिया के बाद होती है। यह क्रिया उस कार्य को दर्शाती है जो मुख्य क्रिया के बाद संपन्न हुआ हो। उत्तरकालिक क्रिया वाक्य में क्रियाओं के क्रम को स्पष्ट करती है।

उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़ाई खत्म करके," "काम निपटाकर," और "खाना खाकर" उत्तरकालिक क्रियाएं हैं जो मुख्य क्रिया के बाद हुई क्रियाओं को दर्शाती हैं।

क्रिया का प्रयोग वाक्य में विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जो वाक्य की संरचना और अर्थ को स्पष्ट करने में सहायक होता है। मुख्य क्रिया वाक्य का मुख्य अर्थ प्रदान करती है, सहायक क्रिया मुख्य क्रिया को समय, प्रकार, या स्थिति के अनुसार स्पष्ट करती है, पूर्वकालिक क्रिया मुख्य क्रिया से पहले की क्रिया को दर्शाती है, और उत्तरकालिक क्रिया मुख्य क्रिया के बाद की क्रिया को दर्शाती है। इन प्रयोगों का उपयोग करके हम वाक्य को अधिक सटीक और स्पष्ट बना सकते हैं।

क्रिया के अन्य महत्वपूर्ण पहलू


क्रिया, वाक्य का एक अनिवार्य तत्व है, जो न केवल कार्य या घटना को दर्शाती है बल्कि कर्ता और अन्य पहलुओं के अनुसार बदलती रहती है। यहाँ क्रिया के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की जा रही है:

1. लिंग और वचन (Gender and Number)

क्रिया का रूप वाक्य में कर्ता के लिंग (पुल्लिंग/स्त्रीलिंग) और वचन (एकवचन/बहुवचन) के अनुसार बदलता है। इससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है और यह दर्शाता है कि क्रिया किस प्रकार की है और कौन इसे कर रहा है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में क्रिया का रूप कर्ता के लिंग और वचन के अनुसार बदल रहा है, जिससे वाक्य का अर्थ स्पष्ट होता है।

2. प्रेरणार्थक क्रिया (Causative Verb):

प्रेरणार्थक क्रिया वह क्रिया होती है जो किसी को कोई कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। यह क्रिया यह दर्शाती है कि कर्ता किसी अन्य व्यक्ति को किसी कार्य के लिए प्रेरित कर रहा है।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "कहती हैं" और "प्रेरित करते हैं" प्रेरणार्थक क्रियाएं हैं जो कर्ता द्वारा किसी को कार्य करने के लिए प्रेरित करने का भाव व्यक्त करती हैं।

3. निषेधात्मक क्रिया (Negative Verb):

निषेधात्मक क्रिया वह क्रिया होती है जो किसी कार्य को न करने का बोध कराती है। यह क्रिया वाक्य में निषेध या रोक का भाव व्यक्त करती है।
उदाहरण-

इन वाक्यों में "नहीं खेल रहे हैं" और "नहीं किया" निषेधात्मक क्रियाएं हैं जो कार्य के निषेध या रोक को व्यक्त करती हैं।

4. क्रियाओं का समूह (Verb Group):

कभी-कभी एक वाक्य में एक से अधिक क्रियाओं का प्रयोग किया जाता है, जिन्हें क्रिया समूह के रूप में जाना जाता है। क्रिया समूह मिलकर वाक्य को पूरा अर्थ प्रदान करते हैं।
उदाहरण-
इन वाक्यों में "पढ़कर" और "सो गया," "बनाकर" और "खा रही है," और "दौड़कर" और "आ गया" क्रिया समूह बनाते हैं जो वाक्य को पूरा अर्थ प्रदान करते हैं।

पढ़ें सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण
  • भाषा और व्याकरण
  • वर्ण-विचार
  • शब्द-विचार
  • वाक्य-विचार
  • संज्ञा
  • वचन
  • लिंग
  • कारक
  • सर्वनाम
  • विशेषण
  • क्रिया
  • काल
  • अव्यय
  • निपात
  • वाच्य
  • पुरुष
  • विराम-चिन्ह
  • उपसर्ग
  • प्रत्यय
  • संधि
  • समास
  • तत्सम-तट्भव
  • देशज-विदेशज
  • विलोम-शब्द
  • पर्यावाची-शब्द
  • मुहावरे
  • लोकोक्तियां
  • अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
  • एकार्थक शब्द
  • एकार्थक प्रतीत होने वाले शब्द
  • त्रुटिसम भिन्नार्थक शब्द
  • युग्म शब्द
  • रस
  • छन्द
  • अलंकार
  • अनुच्छेद-लेखन
  • अपठित-गद्यांश